इंग्लैंड बड़ी त्रासदी के परिस्थिति से गुजर रहा है। वहां के पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं, मॉल और रोजमर्रा के सामानों से दुकानें खाली हैं और लोग भटक रहे हैं। वहां परिस्थिति उस स्तर पर पहुंच गई कि सेना सीमा छोड़कर ट्रक चलाएगी और सामानों की आपूर्ति श्रृंखला को पूरी करेगी।
ब्रिटेन कोवि़ड-19 से बुरी तरह प्रभावित देशों में रहा है। वहां प्रधानमंत्री से लेकर जनसामान्य तक सभी ने कोरोना की महामारी का सामना किया है। महामारी के इस उद्रेक से बाहर निकलने के लिए देश ने लंबे काल तक कोविड लॉकडाउन का सामना किया है, जिसके कारण वहां रहनेवाले विदेशी ड्राइवरों ने देश छोड़ दिया है। जिसका प्रभाव अब जमीनीस्तर पर दिखने लगा है। इसके कारण एक तिहाई पेट्रोल पंप में ईंधन नहीं है, अनाज और आवश्यक सामानों की आपूर्ति करनेवाले स्टोर खाली पड़े हैं, जहां सामान है वहां लोग पैनिक बाईंग कर रहे हैं।
ईंधन, अनाज छिनने का कारण
- लंबा लॉकडाउन बन गया काल, विदेशी चालकों ने पलायन का मार्ग चुना
- 70 हजार ड्राइवर अभी तक देश से कर चुके हैं पलायन
- लॉकडाउन के कारण नए चालकों के लाइसेंस लेने का आंकड़ा 30 हजार कम हुआ
- ब्रेक्सिट के कारण 20 हजार विदेशी चालकों ने छोड़ा इंग्लैंड
- चालकों की सेवा निवृत्ति आयु 55 वर्ष होने से अधिकतर रिटायरमेंट के करीब
- 25 वर्ष की आयु के मात्र 1 प्रतिशत लोग ही हैं चालक
सरकार ढूंढ रही उपाय
- सेना को मांग और आपूर्ति चक्र को पूरा करने के लिए चालक के रूप में लगाया
- विदेश से चालक बुलाने के लिए इंग्लैंड दे रहा अस्थाई वीजा
- विदेश से 5 हजार चालक बुलाने के लिए भेज रहे चिट्ठी
- भारी वाहनों के चालकों को लिखी 10 लाख चिट्टी