जिएं तो जिएं कैसे एसटी कर्मचारी! वेतन मिलने में पहले से ही लेटलतीफी अब…

महाराष्ट्र एसटी महामंडल द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली यूनिफॉर्म की कीमत बढ़ा दी गई है। उसके बावजूद न तो उन्हें समय पर यूनिफॉर्म दी जाती है और न ही कपड़ों की गुणवत्ता अच्छी होती है।

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महाराष्ट्र के एसटी कर्मचारियों की समस्याएं दूर होती नहीं दिख रही हैं। वे समय पर वेतन नहीं मिलने से पहले से ही परेशान हैं, अब उनको यूनिफॉर्म भी नहीं मिल रही है। किसी तरह वे पुरानी ही यूनिफॉर्म से काम चला रहे हैं। राज्य में कोरोना संकट आने के बाद से एसटी कर्मचारियों को नई यूनिफॉर्म नहीं मिली है।

एसटी महामंडल द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली यूनिफॉर्म की कीमत बढ़ा दी गई है। उसके बावजूद न तो उन्हें समय पर यूनिफॉर्म दी जाती है और न ही कपड़ों की गुणवत्ता अच्छी होती है। एसटी महामंडल ने शुरू में कर्मचारियों की वर्दी पर 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लेकिन दो साल पहले रेडीमेड यूनिफॉार्म खरीदने का खर्च 70 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। इतना पैसा खर्च करने के बावजूद कर्मचारियों को अच्छी गुणवत्ता की यूनिफॉर्म नहीं दी गई। इससे उन्हें जहां गर्मी में परेशानी होती है, वहीं उसकी फिटिंग का खर्च भी कर्मचारियों को चुकाना पड़ता है।

यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं
एसटी की स्थापना के बाद से स्टाफ की यूनिफॉर्म नहीं बदली गई है। हालांकि एसटी में कार्यरत एक लाख से अधिक कर्मचारियों की यूनिफॉर्म बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। एसटी प्रशासन अब साइज के हिसाब से यूनिफॉर्म बनाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन इसमें कितना समय लगेगा, इस बारे में कहना मुश्किल है।

संगठन का सुझाव
महाराष्ट्र एसटी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संदीप शिंदे का कहना है कि पहले की तरह कर्मचारियों को नीले और खाकी कपड़े के साथ-साथ सिलाई का खर्च भी दिया जाए, ताकि वे मनचाही फिटिंग में यूनिफॉर्म सिलवा सकें।

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