महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में चलनेवाली बस सेवा सात महीनों में प्रत्येक दिन लगभग 5.75 करोड़ से अधिक का घाटा कमाती रही है। शहर की गलियों और मुख्य सड़क मार्गों पर कोरोना काल में भी लगातार दौड़ रही यह सेवा लंबे समय बीमार है। महामारी के सात महीने में सेवा चलती रहे इसलिए 1201 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं जबकि 171 करोड़ रुपए की ही आमदनी हुई है।
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एक कहावत है आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैय्या… लेकिन मुंबई महानगर पालिका द्वारा संचालित बेस्ट (बृहन मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाइ एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग) की आमदनी तो इस कहावत से भी कम है। मुंबई मनपा ने कोरोना काल में बेस्ट बस सेवाएं लोगों को निरंतरता में प्रदान करने के लिए प्रति माह अनुदान स्वरूप बेस्ट प्रशासन को 125 करोड़ रुपए की सहायता की। लेकिन, इसके बाद भी नुकसान की खाई बढ़ रही है। बस सेवा को दौड़ता रखने के लिए और उसके कर्मियों के वेतन के लिए बेस्ट ने पिछले दो महीने में 100-100 करोड़ रुपए बैंकों से ऋण भी लिये हैं और आनेवाले दिनों में ऋण की आवश्यकता लगातार बनी रहेगी। वर्ष 2020-21 में 1500 करोड़ रुपए की सहायता देने के लिए मनपा ने अपने बजट में प्रावधान किया है। लेकिन इसके विपरीत हानि और आवक का अंतर बढ़ता जा रहा है।
सात महीनों में हुआ कुल व्यय 1201.91 करोड़ रुपए था। इसके सामने मात्र 171.92 करोड़ रुपए की आवक हुई है। ऐसे में आय और व्यय में अंतर लगभग 1030 करोड़ रुपए का है। इस स्थिति में बेस्ट को अपने प्रतिदिन के खर्च के लिए अब मनपा से अनुदान के व्यतिरिक्त बैंकों से ऋण लेना पड़ रहा है।
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