इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के सम्मान के लिए संसद में कानून बनाने का सुझाव दिया है। न्यायायल ने कहा,”भगवान राम, भगवान कृष्ण देश की संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। उन्हें राष्ट्रीय सम्मान देने के लिए संसद में कानून पारित किया जाना चाहिए।” न्यायालय ने देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की पृष्ठभूमि में हो रही बहस के दौरान यह सुझाव दिया। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी में कहा था,”भगवान राम इस देश के प्रत्येक नागरिक के दिल में निवास करते हैं।”
बार और बेंच ने कहा कि न्यायालय ने फेसबुक पर भगवान राम और भगवान कृष्ण के बारे में आपत्तिजनक भाषा लिखने वाले व्यक्ति को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। वह व्यक्ति पिछले 10 महीनों से जेल में बंद था। उसे 10 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान जमानत मिल गई। उच्च न्यायालय के जस्टिस शेखर यादव की एक सदस्यीय पीठ ने उस समय बोलते हुए कहा कि राम और कृष्ण हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
“भगवान राम और कृष्ण का अपमान…”
इस दौरान न्यायमूर्ति ने कहा, “आरोपी द्वारा भगवान राम और भगवान कृष्ण जैसी महान हस्तियों के मामले में दिए गए आपत्तिजनक बयान ने देश के अधिकांश नागरिकों के विश्वास को ठेस पहुंचाई है। यह देश की शांति और सद्भाव के लिए खतरा है और निर्दोष लोगों को आहत करने का मामला है।”
"..Ram resides in the heart of every citizen of this country, he is the soul of India. The culture of this country is and India is incomplete without Rama."
– Allahabad High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) October 10, 2021
सम्मान में संसद में पारित हो कानून
न्यायमूर्ति ने यह भी उल्लेख किया कि संसद इस संबंध में एक कानून पारित करे। उन्होंने कहा ,”भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण, गीता और उनके लेखक महर्षि वाल्मीकि तथा महर्षि व्यास देश की सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग हैं। देश की संसद में इस संबंध में कानून पारित कर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए।”
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भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लेख
न्यायाधीश ने आकाश जाटव को जमानत दे दी। जस्टिस शेखर यादव ने भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों का भी उल्लेख किया, “देश का संविधान एक संप्रभु और स्वतंत्र विनियमन है। स्थिति के आधार पर, प्रत्येक नागरिक को ईश्वर में विश्वास करने या न करने की स्वतंत्रता है। लेकिन जो नागरिक भगवान में विश्वास नहीं करते हैं, वे भगवान की आपत्तिजनक छवि नहीं बना सकते हैं और उसे प्रसारित नहीं कर सकते।”
राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान की थी टिप्पणी
न्यायालय ने राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों का भी जिक्र किया। जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “भगवान राम हर भारतीय के दिल में निवास करते हैं। वे देश की आत्मा हैं। यह देश और इसकी संस्कृति राम के बिना अधूरी है।”