मुंबई के कमला मिल कंपाऊंड के पब में लगी आग का मामला फिर से सुलग रहा है। इस मामले में कमला मिल प्रिमाइसेस के दो मालिकों की आरोप मुक्ति के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की मांग बीजेपी ने की है। 2017 में घटे इस अग्निकांड में 14 लोग जीवित ही भस्म हो गए थे।
महाराष्ट्र में पुरानी फाइलें और मामले खोले जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। एक आत्महत्या के मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल होने के बाद भी हुई गिरफ्तारी से राजनीति गरमा गई है। इससे उत्पन्न परिस्थिति के चलते हाइ प्रोफाइल मामलों में क्लीन चिट दिये जाने पर नेता भिड़ गए हैं। कोई किसी की जमीन तो कोई दूसरे के जमीर पर प्रश्न खड़ा कर रहा है। इस बीच बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने मांग की है कि कमला मिल कंपाऊंड अग्निकांड के मामले में आरोप मुक्त हुए दोनों मिल मालिकों के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाए।
29 दिसंबर 2017 को कमला मिल कंपाऊंड के दो पब ‘वन अबव’ और ‘मोजोस बिस्ट्रो’ में भीषण आग लग गई थी। इस दुर्घटना के समय पब में मौजूद लोगों में से 14 लोग जीवित भस्म हो गए। इस अग्निकांड में कमला मिल के दो मालिकों समेत 12 आरोपी थे। इस मामले की सुनावई सत्र न्यायालय में चल रही थी। जिसमें सत्र न्यायालय ने मिल मालिकों की आरोप मुक्ति का निर्णय सुनाया। इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की मांग अब बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने की है।
ये हैं आरोप…
इस मामले में आरोप लग रहा है कि, सुरक्षा की अनदेखी के साथ-साथ एफएसआई घोटाले का भी इसमें मामला बनता है। इसलिए इसमें आपराधिक मामले के साथ ही एमआरटीपी (माल एंड रिस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिसेस) कानून के अंतर्गत भी मामला दर्ज होना चाहिए था।
इनके उत्तर दो…
मिल की जगह में निर्माण और एफएसआई के दुरुपयोग में मालिकों को क्लीन चिट कैसे?
जब मालिक ही मुक्त तो अनियमितताओं का जिम्मेदार कौन?
पब मालिकों को सजा मिलेगी इसका क्या भरोसा?
पुलिस की जांच के बाद भी कैसे छूटे आरोपी?
सरकारी अधिवक्ता ने मुद्दे सही ढंग से कोर्ट में रखे?