उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मद्देनजर, महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) ने किसानों के समर्थन में 11 अक्टूबर को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। इस बंद का पूरा-पूरा असर प्रदेश के सभी भागों में दिखे जाने की संभावान है। इसका कारण यह है कि प्रदेश में आघाड़ी की ही सरकार है। इस स्थिति में प्रशासन भी उसके नियंत्रण में होने से इस बंद को सफल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस बंद का विरोध किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में कहा कि सत्ताधारी पार्टियां लखीमपुर खीरी हिंसा का राजनीतिकरण कर रही हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में की बंद की घोषणा
बंद की घोषणा महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकांपा नेता और राज्य के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक, शिवसेना सांसद संजय राउत और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सचिन सावंत शामिल थे। महाविकास आघाड़ी ने देश पर किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एकता दिखाकर भाजपा को आगाह करने की कोशिश की। इस सम्मेलन में सांसद संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना दोनों कांग्रेस दलों के साथ 11 अक्टूबर के बंद में पूरी ताकत के साथ भाग लेगी।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद संजय राउत ने कहाः
> महाविकास आघाड़ी द्वारा प्रस्तावित बंद में शिवसेना पूरी ताकत से उतरेगी।
> यह परेशान करने वाली घटना है, जिसमें एक किसान के वाहन की चपेट में आने से चार किसानों की मौत हो गई।
> इस मुद्दे पर देश की जनता को जगाने के लिए महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया है।
> मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने सभी दलों से इस बंद में शामिल होने की अपील की है।
> यह दिखाने का समय है कि देश के किसान अकेले नहीं हैं।
क्या हुआ था लखीमपुर में?
3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खारी में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। चार किसानों की उस समय मौत हो गई थी, जब वे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को कृषि कानूनों के विरोध में एक कार्यक्रम के दौरान काले झंडे दिखाने की कोशिश के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की गाड़ी की चपेट में आ गए थे, जबकि दो भाजपा कार्यकर्ताओं, एक ड्राइवर और एक पत्रकार को किसानों ने पीट-पीटकर मार डाला था।