उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी प्रकरण के विरोध में महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में बंद का आह्वान किया है। इस कारण राज्य सरकार के कार्यालय और सेवाएं 11 अक्टूबर को बंद हैं। इसके साथ ही सुबह से बेस्ट के ज्यादातर डिपो से बेस्ट की बसें नहीं निकली हैं, लेकिन तस्वीर यह भी है कि मुंबई का दादर बाजार सुबह से खुला हुआ है। इसलिए बंद को सरकारी प्रतिष्ठानों का समर्थन मिलने पर भी अहम सवाल यह है कि व्यापारियों और निजी प्रतिष्ठानों का इस बंद को कितना समर्थन मिल रहा है।
दादर मार्केट में भीड़
सत्ताधारी पार्टी का महाराष्ट्र बंद 10 अक्टूबर की आधी रात से शुरू हो गया, लेकिन दादर बाजार हमेशा की तरह 11 अक्टूबर को खुला था। सब्जियों और फूलों से लदे ट्रक नवी मुंबई, नासिक से यहां पहुंचे थे । मुंबई और उसके आसपास के खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं पर भी बंद का असर नहीं देखा गया। मुंबई के आलावा नागपुर, जलगांव, पुणे में बाजार खुले रहे।
एपीएमसी बाजार बंद
हालांकि, नवी मुंबई में एपीएमसी बाजार बंद रहा। यहां सभी लेनदेन बंद हैं। नीलामी बंद है। साथ ही थोक विक्रेता व फुटकर विक्रेता भी यहां नहीं आए।
बेस्ट सेवा बंद
महानगरपालिका और बेस्ट पर शिवसेना के दबदबे के चलते 11 अक्टूबर की सुबह से ही बेस्ट की बसें डिपो से नहीं निकलीं। इस बंद को शिवसेना की अगुवाई वाली बेस्ट कामगार सेना और कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। सुबह से ही अधिकांश डिपो से बसें नहीं निकलने से मजदूर वर्ग को परेशानी हुई। रेलवे स्टेशनों तक पहुंचने के लिए उन्हें रिक्शा और टैक्सियों का इस्तेमाल करना पड़ा। ऐसा ही असर राज्य परिवहन निगम पर देखने को मिला। कुछ ही एसटी बसें सड़क पर थीं। पुणे मनपा की सार्वजनिक परिवहन सेवा भी बंद रही।
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व्यापारियों को मजबूर न करें- नितेश राणे
इस बीच बंद पर कारोबारी समुदाय की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। ऐसे में देखना होगा कि इस समुदाय का इस बंद को कितना समर्थन मिलता है। कोरोना काल में दुकानें पहले से ही बंद थीं, जिससे व्यवसायिक घाटा हो रहा है। अब व्यापारियों ने सवाल किया है कि फिर से बंद का समर्थन कर वे नुकसान क्यों सहें? इस बीच, भाजपा विधायक नितेश राणे ने चेतावनी दी है कि अगर आघाड़ी व्यापारियों को दुकानें बंद करने के लिए मजबूर करती है तो भाजपा शांत नहीं बैठेगी।