दशहरे के अवसर पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने असम और मिजोरम पुलिस के बीच हुई गोलीबारी पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “एक ही देश में, हमारे दो राज्यों की पुलिस एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रही है। गोलीबारी में अपने ही लोग मारे जाते हैं। क्या हम एक ही देश के नागरिक नहीं हैं?” इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और इजरायल के महावाणिज्य दूत कोब्बी शोशानी भी उपस्थित थे।
मोहन भागवत ने कहा, “हालांकि दोनों भारत के राज्य हैं, लेकिन उन दोनों राज्यों की पुलिस एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रही है। गोलीबारी में हमारे ही लोग मारे जा रहे हैं। हमारी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ठीक है। दलों का विरोध भी चलेगा, लेकिन देश में शासन व्यवस्था एक है, यह व्यवस्था संविधान के अनुसार बनाई गई है। संविधान के मुताबिक हम एक फेडरेशन हैं।” उन्होंने सवाल दागते हुए कहा ,”अगर सत्ता में बैठे लोगों का व्यवहार अनुकूल नहीं होगा, तो समाज को दिशा कहां से मिलेगी?”
हम एक देश के नागरिक हैं
आरएसएस प्रमुख ने कहा,”हम एक देश के नागरिक हैं। यह देश हम सबका है। सभी लोगों को मिलाकर एक राष्ट्र बना है। हालांकि, ऐसा आदर्श व्यवहार सत्ता में बैठे लोगों में भी नहीं देखा जाता है तो समाज को दिशा कहां से मिलेगी? देश में राजनीतिक हितों के लिए कई तरह-तरह की जोड़-तोड़ की जाती है। समाज के लोगों के दिमाग का क्या होगा?”
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सबके त्याग और बलिदान से बना देश
मोहन भागवत ने कहा,”यह हमारी स्वतंत्रता का 75वां साल है। 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुए। हमने देश के विकस और उन्नति के लिए एक देश का कंसेप्ट अपनाया। यह रातों-रात प्राप्त नहीं हुआ। देश की सभी जातियों के वीरों ने भारत की परंपरा में एक स्वतंत्र भारत कैसा दिखना चाहिए, इस विचार को ध्यान में रखते हुए तपस्या, त्याग और बलिदान दिया।”