जानें, ‘नेताजी’ कैसे बन गए देश के नए तीर्थस्थल

अंडमान निकोबार द्वीप समूह क्रांतिकारियों की निशानी हैं। जहां देश की स्वतंत्रता के लिए लड़नेवाले उन राज बंदियों को लाया जाता था, जिनसे अंग्रेज सरकार सबसे अधिक डरती थी। यहां भीषण यातनाएं देकर इन क्रांतिकारियों को रखा जाता था।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने लिखा है सिंधु नदी से सिंधु सागर की भूमि में जिनका निवास है, वो हिंदू हैं। अब सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु सागर में फैले एक टापू को नेताजी सुभाष चंद्र बोसा के नाम कर दिया। इस संदर्भ में सरकार की ओर से आह्वान किया गया है कि, युवा वर्ग भारत की स्वतंत्रता के इन वीर पुरुषों की अमिट छाप रही इन तीर्थस्थलियों का दर्शन अवश्य करें।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पोर्ट ब्लेयर यात्रा का दूसरा दिन है। पहले दिन वीर सावरकर स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पण के साथ शुरू हुई उनकी यात्रा का दूसरा दिन भी क्रांतिकारियों के नाम रहा। अमित शाह ने रोस आईलैंड नामक एक टापू को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम दिया है।

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सिंधु सागर में अमिट छाप… शाह के संबोधन की मुख्य बातें

  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह स्वतंत्रता का तीर्थस्थल है
  • युवाओं से अंडमान निकोबार आने का किया आह्वान
  • आजादी के अमृत महोत्सव में नेताजी की 125वीं जयंती मनाएंगे
  • नेताजी के साथ हुआ अन्याय
  • उन्हें जो स्थान मिलना था वह नहीं मिला
  • वर्षों से कई नेताओं की प्रतिभा छिपाने की हुई कोशिश
  • अब आया उन्हें सही सम्मान देने का समय
  • वीर सावरकर को सरकार ने कुछ नहीं दिया

  • करोड़ो लोगों ने उनकी वीरता और राष्ट्रभक्ति को सम्मानित किया
  • वीर सावरकर पर कुछ लोग प्रश्न उठा रहे
  • इससे आत्मक्लेश उत्पन्न होता है
  • जिसे दोहरी सजा मिली उसकी देशभक्ति पर कैसे सवाल कर सकते हैं?
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