कश्मीरी जिहादियों के प्रति आंखें मूंदे है भारत सरकार, जम्मू हो स्वतंत्र राज्य – अंकुर शर्मा

जम्मू के अलग किये बिना 2011 की फर्जी जनगणना के आधार पर चुनाव कराना जम्मू को गुलामी में धकेलना होगा। यदि ऐसी स्थिति में चुनाव कराए जाते हैं तो कश्मीर में जिहादयों को जीवनदान देना होगा, जो जम्मू संभाग के लोगों को जहर देने की तरह होगा। इक्कजुट्ट जम्मू इसका विरोध करती रही है और करती रहेगी।

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जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं का संहार फिर शुरू है। वर्षों से व्यवसाय करके पेट पालनेवाले बिहार के मजदूरों की नृशंस हत्याएं, कश्मीरी पंडितों की हत्याएं, जिहाद को जीवित करने की कोशिशों को बयां कर रही है। इसके विरुद्ध आक्रोषित हिंदू जनमानस को लेकर आगे आया है इक्कजुट्ट जम्मू। इसके अध्यक्ष अंकुर शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में आरोप लगाया है कि जिहादियों के प्रति भारत सरकार आंखे मूंदे हुए है। इस परिस्थिति में जम्मू को अलग राज्य घोषित किया जाए, यही एक मात्र मार्ग है।

जम्मू को कश्मीर से अलग करके अलग राज्य बनाने की मांग अंकुर शर्मा पहले भी कर चुके हैं। वे कहते हैं, 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति का प्रभाव समाप्त हो चुका है। जम्मू के लोग फिर एक बार कश्मीर के सांप्रदायिक, कट्टर, इस्लामी, दमनकारी और अधिनायकवादी इको-सिस्टम को झेलने को मजबूर हैं। इस स्थिति से जम्मू को उबारने के लिए कश्मीर से जम्मू को अलग करना ही एकमात्र मार्ग है। भारत सरकार की 70 साल से चली आ रही नेहरूवादी नीति के कारण जम्मू उपनिवेश बनकर रहा गया है।

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जिहाद के प्रति आंखें मूंदे
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के पहले और वर्तमान परिस्थिति में भी, कश्मीर में जिस प्रकार से जिहादी खुद का तालिबान, पाकिस्तान और चीन से संबंध बता रहे हैं, और आतंकवादी कश्मीर के शांति प्रिय हिंदू, सिख और बिहार से आए मजदूरों की हत्या कर रहे हैं। इसके अलावा जिस प्रकार से प्रशासन इस्लामिक सत्ता, शरिया और अफगानिस्तान जैसी सत्ता की ओर झुक रहा है, और जम्मू के लोगों से दुय्यम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है इसके कारण जम्मू संभाग और कश्मीर घाटी को राजनीतिक रूप से एक नहीं रखा जा सकता है।

तो होगा तीव्र विद्रोह
जम्मू और कश्मीर घाटी को एक राजनीतिक इकाई के रूप में बनाए रखने का अर्थ है कि शरिया कानून/निजाम-ए-मुस्तफा के समर्थकों के हाथ जम्मू को कश्मीर की भांति परिवर्तित करना होगा। जो वर्षों से चले आ रहे उस उद्देश्य की पूर्ति होगी, जिसमें जम्मू से हिंदू और सिखों का पलायन हो जाए इसके माध्यम से यह जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में विलय की कोशिश है। कश्मीर से जम्मू का अलगाव इस त्रासदी से बचा सकता है। राष्ट्रहित की रक्षा के लिए जम्मू संभाग में हिंदुओं का नरसंहार और पलायन रोकना होगा इसके अलावा जिहादियों को परास्त करना आवश्यक है।

वो जम्मू को गुलामी में धकेलेगी
जम्मू के अलग किये बिना 2011 की फर्जी जनगणना के आधार पर चुनाव कराना जम्मू को गुलामी में धकेलना होगा। यदि ऐसी स्थिति में चुनाव कराए जाते हैं तो कश्मीर में जिहादयों को जीवनदान देना होगा, जो जम्मू संभाग के लोगों को जहर देने की तरह होगा। इक्कजुट्ट जम्मू इसका विरोध करती रही है और करती रहेगी।

एक्कजुट्ट जम्मू की प्रेस वार्ता में अश्वनी शर्मा, हरीश कपूर, विक्रम शर्मा, रजिंदर शर्मा, अजय सिंह, तिलक, रजिंदर सिंह जैसवाल, मुकेश गुप्ता, विरेंद्र अब्रॉल, माणिक जामवाल उपस्थित थे।

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