जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और गैर-स्थानीय लोगों की हत्य को लेकर केंद्र सरकार काफी गंभीर है। अब उसका प्रभाव भी दिखने लगा है। बताया जा रहा है कि इन हत्याओं की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए अपने हाथ में ले सकती है, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं की गई है। लेकिन घाटी में एनआईए की सक्रियता अभी से बढ़ने लगी है।
11 स्थानों पर छापा
एनआईए के अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में 11 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर यह संकेत दे दिया है कि अब इस केंद्र शासित प्रदेश में आतंक का राज नहीं चलेगा। एजेंसी के अधिकारियों ने ये छापेमारी घाटी में आतंकवाद फैलाने के षड्यंत्र रचने के मामले में किया है। ये छापे श्रीनगर, बारामुला, अवंतीपोरा, सोपोर और कुलगाम में मारे गए हैं।
ये आतंकी संगठन सक्रिय
दरअस्ल भारतीय खुफिया एजेंसियों को जम्मू-कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, अल बद्र और इनसे जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट, पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट आदि प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के सक्रिय होने की जानकारी मिली है। इसलिए उसने इनके ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर आतंक की कमर तोड़ने का काम शुरू कर दिया है।
सरकार की बढ़ी चिंता
कश्मीर घाटी में बढ़ रहे आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार की चिंता बढ़ गई है। तेजी से वहां का सामान्य हो रहा जन-जीवन एक बार फिर अशांत होता दिख रहा है। इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 18 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाकर वहां की कानून व्यवस्था तथा आतंकी हमले बढ़ने के कारणों की समीक्षा की। इसके साथ ही किसी भी हालत में घाटी के बिगड़ते हालात को सामान्य बनाने को लेकर रणनीति बनाई। बैठक में शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों, अर्धसैनिक दलों के अधिकारियों, पुलिस प्रमुखों और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल थे।
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13 दिन में 11 लोगों की हत्या
बैठक को लेकर मिली जानकारी के अनुसार अमित शाह ने घाटी में हाल के हमले को लेकर चिंता जताई और वहां फिर से शांति बहाली के लिए हर तरह के कदम उठाने के निर्देश दिए। बता दें कि इस केंद्र शासित प्रदेश में पिछले 13 दिनों में आतंकियों ने 11 लोगों की हत्या कर दी है। इस कारण घाटी में एक बार फिर आतंक का माहौल बनता दिख रहा है। गैर-कश्मीरी लोग बड़ी संख्या में वहां से पलायन कर रहे हैं।