महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कुछ दिन पहले कहा था कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे आज भी मुख्यमंत्री नहीं हैं। उनके इस बयान के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार के कई नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी। शिवसेना की दशहरा रैली में उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी टिप्पणी की थी। ठाकरे ने कहा था कि मैं फिर आऊंगा की बात करने वाले सत्ता में आए नहीं क्योंकि हम गए नहीं और वे आएंगे भी नहीं, क्योंकि हम जाएंगे नहीं।
फडणवीस ने ऐसा क्यों कहा, इस बारे में राजनीतिक क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं आज भी जारी हैं। लेकिन अब ऐसा लगता है कि उनके बयान में कुछ तो तथ्य है।
फडणवीस इस तरह बने पत्रवीर
दरअस्ल एक आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विपक्ष के नेता के रूप में पिछले दो साल में राज्य में मुद्दों को सुलझाने के लिए 231 पत्र लिखे हैं। इसके लिए हमेशा आक्रामक अंदाज में अपने विरोधियों को निशाना बनाने वाले फडणवीस के नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया है।
प्रति माह औसतन 10 पत्र
आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारडा की ओर से दायर एक आरटीआई में यह जानकारी मिली है। देवेंद्र फडणवीस हमेशा ट्वीट करते हैं कि उन्होंने राज्य के मुद्दों के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। प्रफुल्ल सारडा ने पिछले डेढ़ साल में किए गए ट्वीट की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए आरटीआई आवेदन किया था। उसमें यह बात सामने आई है कि फडणवीस ने मुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री कार्यालय को 231 पत्र लिखे हैं। इस प्रकार फडणवीस ने हर महीने औसतन 10 पत्र मुख्यमंत्री को लिखे हैं।
फडणवीस ने यह कहा था-
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस ने कहा था कि पिछले 2 साल से मैं एक भी दिन घर पर रुके बिना जनसेवा में लगा हूं। इस बीच लोगों ने मुझे कभी यह नहीं कहा कि मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं। उन्होंने वर्तमान महाविकास आघाड़ी सरकार को प्रदेश में अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार कहकर उसकी आलोचना की थी। फडणवीस के इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने भाजपा की केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।