अफगाननिस्तान के सिखों के बुरे दिन तो पहले से भी शुरू थे, लेकिन तालिबानी शासन में उनके लिए जीना और भी दूभर हो गया है। उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके आलावा उनके पास दो ही विकल्प हैं, या तो मरो या देश छोड़ो।
इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी की रिपोर्ट में इस सच्चाई का पर्दाफाश किया गया है। वैसे, अफगानिस्तान में अशरफ गनी के शासन के समय भी सिखों की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन तालिबान राज आने के बाद उन पर जुर्म बढ़ने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान के कट्टरपंथियों ने अघोषित फरमान जारी कर दिया है कि या तो सिख सुन्नी मुसलामन बन जाएं या देश छोड़ दें वर्ना उनके साथ कुछ भी किया जा सकता है।
संपत्ति पर नजर
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि तालिबानियों की नजर उनकी संपत्तियों पर है। वे उन पर कब्जा करना चाहते हैं। इसके लिए तालिबानी प्रशासन के अधिकारी उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल कर रहे हैं। उनकी संपत्ति अपने समर्थकों को देने के लिए वे सिखों पर अनेक तरह के अत्याचार कर रहे हैं। इसके साथ ही जमीन हथियाने के लिए हजारा, शिया समुदाय और पहले की सरकार से संबंधित लोगो को भी निशाना बनाया जा रहा है।
तेजी से घट रही है सिखों की आबादी
बता दें कि अफगानिस्तान की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ 90 लाख है। इनमें पहले सिखों की आबादी 50 हजार के आसपास हुआ करती थी लेकिन अब धीरे-धीरे उनकी जनसंख्या कम होकर मात्र 2,500 तक रह गई है। यहां उन्हें जबरदश्त भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्हे अकारण परेशान करने और निशाना बनाए जाने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। अफगानिस्तान में सिखों की सबसे ज्यादा जनसंख्या वहां की राजधानी काबुल में लगभग एक हजार है। इसके आलावा गजनी और नांगरहार प्रांत में भी सिख रहते हैं।
ये भी पढ़ेंः एमपी में स्कूल परिसर में ही मुसलमानों ने कर दिया ऐसा कि मच गया हड़कंप!
पहले से होते रहे हैं हमले
तालिबानी 5 अक्टूबर को गुरुद्वारे में घुस गए थे और गार्डों को बांध दिया था। यह हमला काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में हुआ था। वहां के सिख अक्सर इस तरह के हमले के शिकार होते रहते हैं। अफगानिस्तान में सिखों पर कई बार हमले हो चुके हैं। मार्च 2019 में एक सिख का अपहरण कर लिया गया था और उसकी बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी गई थी। बाद में स्थानीय पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही कंधार में एक अन्य सिख को बंदूकधारियों ने गोलियों से भून दिया था।