वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के वकील महेश जेठमलानी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में पूछा कि महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र आव्हाड और नवाब मलिक ने एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस तबादलों में कथित भ्रष्टाचार की एक गोपनीय रिपोर्ट के ब्योरे का खुलासा किया था। उस मामले में राज्य सरकार और पुलिस ने उनकी जांच क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को कथित रूप से लीक करने के लिए केवल शुक्ला के खिलाफ कार्ररवाई की जा रही है, जबकि इस मामले में जितेंद्र आव्हाड और नवाब मलिक भी आरोपी हैं।
रश्मि शुक्ला का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने जस्टिस नितिन जामदार और एसवी कोतवाल की बेंच के सामने बहस के दौरान कहा कि गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसमें उन्होंने रश्मि शुक्ला की गोपनीय रिपोर्ट जारी की, साथ ही अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने भी उस रिपोर्ट का ब्योरा लीक किया। इस मामले में इन दोनों मंत्रियों पर भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए , लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
यह है मामला
बता दें कि जब रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र के खुफिया विभाग की प्रमुख थीं, तब उन्होंने कुछ मंत्रियों के फोन टैप कराए थे। उन्होंने उस बातचीत के आधार पर कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राज्य सरकार और पुलिस प्रमुख से जांच की मांग की थी। लेकिन इस मामले को कथित रुप से दबा दिया गया था। उसके बाद उन्होंने अपना ट्रांसफर हैदराबाद में सीआरपीएफ में एडीजी के पद पर करा लिया। बाद में महाराष्ट्र की आघाड़ी सरकार ने फोन टैपिंग मामले को अवैध बताते हुए उसकी जांच के आदेश दिए थे। कहा गया था कि तत्कालीन खुफिया प्रमुख ज्योति शुक्ला ने फोन टैपिंग के लिए संबंधित अधिकारी से अनुमति नही ली थी। इस मामले को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ज्योति शुक्ला ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।