महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के एक चालक ने 29 अक्टूबर की सुबह डिपो में खड़ी एक एसटी के पीछे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद से तहसील में कोहराम मच गया है। आर्थिक तंगी समेत अन्य कारणों से अब तक एसटी के 28 कर्मचारियों ने मौत को गले लगा लिया है।
आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या
आत्महत्या करने वाले एसटी कर्मचारी का नाम दिलीप हरिभाऊ काकड़े है। वह शेगांव डिपो में ड्राइवर का काम करता था। शुरुआती जानकारी के अनुसार आर्थिक तंगी के चलते उसने आत्महत्या की है। उसने इसी डिपो में खड़े एसटी बस के पीछे फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। घटना की सूचना मिलते ही डिपो के अन्य कर्मचारी व अधिकारी मौके पर पहुंच गए। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
विपक्ष ने सरकार की नीतियों को ठहराया जिम्मेदार
इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए विधानपरिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा,” शेवगांव में एक एसटी कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक घटना है। पिछले एक साल में कई कर्मचारियों ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली है क्योंकि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। एसटी कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार की नीति के कारण इस तरह की आत्महत्याएं हो रही हैं। एक तरफ एसटी कर्मचारी दीपावली को मीठा बनाने की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ एसटी कर्मचारी परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, नहीं तो इस मुद्दे पर हंगामा होगा और इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।”
कब खत्म होगा सुसाइड सत्र?
उमरगा डिपो के वाहक( कंडक्टर) दयानंद गवली ने भी इससे पहले 12 अक्टूबर को आत्महत्या कर ली थी। निगम के कर्मचारी ने पहली आत्महत्या 7 मार्च, 2020 को की थी। तब से आत्महत्या का यह दौर जारी है। 19 महीने में 29 अक्टूबर को की गई एसटी कर्मियों की 28वीं आत्महत्या है। अहमदपुर, तेलहारा, शहाड, कंधार और सकरी जैसे कई स्थानों स्थानों पर कर्मचारियों ने अब तक आत्महत्या की है। पिछले साल जलगांव में वाहक मनोज चौधरी और रत्नागिरी में पांडुरंग गड्डे ने भी आत्महत्या कर ली थी।