भारत अफगानिस्तान को मदद सामग्री भेजना चाहता है। इसके लिए वह पाकिस्तान का सड़क मार्ग इस्तेमाल करना चाहता है। लेकिन अभी तक अफगानिस्तान के सबसे करीबी दोस्त पाकिस्तान ने इसकी मंजूरी नहीं दी है। हालांकि इसके लिए पाकिस्तान को भारत ने पिछले महीने ही संपर्क किया था।
फिलहाल चीन और तुर्की समेत कुछ देशों ने अफगानिस्तान में मदद सामग्री भेजना शुरू कर दिया है। भारत भी इसमें अपना जल्द योगदान देना चाहता है।
पाक डाल रहा है बाधा
भारत ने अभी तक अफगानिस्तान की ताालिबान सरकार को मंजूरी नहीं दी है और न देने को लेकर विचार कर रहा है, लेकिन मानवता के आधार पर वह हमेशा वहां के लोगों की मदद करने का पक्षधर रहा है। इसी क्रम में वह अफगानिस्तान में अनाज समेत अन्य आवश्यक सामग्रियां भेजना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान द्वारा अनुमति देने में विलंब किए जाने से भारत ऐसा नहीं कर पा रहा है।
50 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजना चाहता है भारत
भारत ने पाकिस्तान को बताया है कि वह अफगानिस्तान में उसके सड़क मार्ग से 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजना चाहता है। इसका कारण यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में सहायता सामग्री हवाई मार्ग से भेजना कठिन है। भारत सरकार ने इसके लिए पाकिस्तान से अपने 5 हजार ट्रकों को अफगानिस्तान जाने देने की मंजूरी मांगी है।
तालिबान मदद स्वीकारने को तैयार
मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान भारत के आग्रह पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि वह ट्रकों की संख्या अधिक होने के कारण इस पर निर्णय लेने में देरी कर रहा है। फिलहाल बताया गया है कि पाकिस्ताान द्वारा इजाजत मिलते ही सड़क मार्ग से वाघा-अटारी बॉर्डर से अनाजों के ट्रक अफगानिस्तान भेजे जाएंगे। तालिबान ने भारत की इस तरह की मदद को स्वीकार करने की बात कही है। दोहा और मॉस्को में भारतीय राजनयिकों के साथ हुई बैठक में तालिबान के प्रतिनिधियों ने मदद का स्वागत किया है।
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इसलिए डाल रहा है बाधा
बताया यह भी जा रहा है कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि भारत और तालिबान के संबंध अच्छे हों, क्योंकि इससे उसे तालिबान सरकार को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने में मुश्किलें आएंगी। इसलिए वह भारत के इस आग्रह को लटका रहा है।
पाकिस्तान इस बैठक में नहीं होगा शामिल
फिलहाल एक दूसरी खबर यह है कि अफगानिस्तान को लेकर नीति निर्धारित करने के लिए 10 नवंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक में पाकिस्तान ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। इस बैठक में भारत के साथ चीन, रुस और ईरान आदि देश शामिल होने वाले हैं। हालांकि चीन ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।