डब्ल्यूएचओ की विश्वसनीयता पर कोरोना महामारी की शुरुआत से ही भारत और अमेरिका समेत विश्व के लगभग 62 देश सवाल उठाते रहते हैं। कोरोना वायरस को लेकर जिस तरह उसने चीन का बचाव किया था और भ्रम में रखकर दुनिया को तबाही के दलदल में धकेलने का काम किया था, उस कारण विश्व भर के इन देशों से उसकी खुलकर आलोचना की थी। उसकी नीति को लेकर भारत हमेशा से संदेह करते रहा है। इसी क्रम में ताजा मामला भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर डब्ल्यूएचओ का रुख का है। उसने लंबे समय तक इस वैक्सीन को मंजूरी न देकर एक बार फिर अपनी दोहरी नीति स्पष्ट कर दी है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की मंजूरी के बाद उसने भी इसे हरी झंडी दे दी है। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-20 नेताओं की बैठक में की गई बातें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गंभीरता से ली है। इसके कारण एक वैश्विक दबाव भी बढ़ा और कोवौक्सिन को हरी झंडी मिल गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी समिति ने कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश कर की थी। उसके बाद डब्ल्यूएचओ ने भी कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी। 3 नवंबर को संगठन की तकनीकी समिति की बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया। इससे पहले संगठन ने कोवैक्सीन निर्माण करने वाली कंपनी भारत बायोटेक से इसके बारे में पूरी जानकारी मांगी थी।
डब्ल्यूएचओ की टिप्पणी
-यह वैक्सीन डब्ल्यूएचओ के मानकों को पूरा करती है।
-कोवैक्सीन का लाभ जोखिम से कहीं अधिक है।
-इस वैक्सीन का उपयोग विश्व भर में किया जा सकता है।
-गर्भवती महिलाओों के टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन से संबंधित पूरा डाटा उपलब्ध नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिया धन्यवाद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कोवैक्सीन को मंजूरी देने के लिए डब्लयूएचओ को ट्वीट कर धन्यवाद दिया है। हालांकि उनके ट्वीट से यह स्पष्ट है कि यह मिशन भारत के लिए आसान नहीं था।
यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है,
यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है,
यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है,
यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है।Thanking @WHO for granting emergency use listing ( EUL) to Made-in-India #Covaxin
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) November 3, 2021
अप्रैल में किया गया था आवेदन
बता दें कि कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी के लिए 19 अप्रैल 2021 को ही डब्ल्यूएचओ के पास आवेदन किया था। लेकिन वह इतने दिनों तक इस बारे में निर्णय को टालता रहा। इस बीच 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश में इसे मंजूरी देने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद दबाव में आकर डब्ल्यूएचओ द्वारा यह निर्णय लिए जाने की बात कही जा रही है।
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अब तक सात टीकों को मंजूरी
फिलहाल डब्ल्यूएचओ ने छह टीकों को मंजूरी दी है। उनमें फाइजर-बायोएनटेक की कोमिरनेटी, एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन, मॉडर्ना की एमआरएनए-1273, सिनोफार्म की बीबीआईबीपी-कोरवी और सोनोवैक की कोरोनावैक शामिल हैं। कोवैक्सीन सातवीं वैक्सीन है।