जम्बो कोविड सेंटर मामला: ठेकेदार हटेगा पर क्या जिंदगियां लौटेंगी?

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पुणे। शहर में बने जम्बो कोविड-19 केयर सेंटर पर आखिरकार सरकार ने कार्रवाई का आदेश दे दिया है। इस सेंटर की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में बहुत रोष है। यहां 14 दिनों में 39 लोगों की मौत से कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है लेकिन पीड़ित परिवारों का प्रश्न है कि उन जिंदगियों का क्या जो लापरवाही की भेंट चढ़ गईं?
शहर के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के मैदान में बनाए गए जम्बो कोविड केयर सेंटर की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में भारी गुस्सा है। यहां हो रही मौत के कारण लोग यहां जाने में भी डरने लगे थे। इस बीच कोरोना का प्रकोप एक बार कहर ढा रहा है। कोरोना की त्राहि के बीच स्थिति का निरिक्षण करने के लिए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पुणे पहुंचे थे। जम्बो कोविड केयर सेंटर की जानकारी लेने के बाद अजीत पवार ने इसे संचालित करनेवाली लाइफ लाइन एजेंसी को हटाने का आदेश दिया है।
रहेगी अधिकारियों की निगरानी
पुणे महानगर पालिका ने उपमुख्यमंत्री के आदेश के बाद यहां चार अधिकारियों की नियुक्ती की है। ये सभी अधिकारी छह घंटे की शिफ्ट में इस सेंटर उपलब्ध रहेंगे। इन अधिकारियों की निगरानी में ही सेंटर का संचालन होगा। इसके अलावा सेंटर की सुरक्षा के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।
लाइफ लाइन के डॉक्टर, नर्स भागे!
अपनी लापरवाही के लिए कुख्यात हुए जम्बो कोविड केयर सेंटर के संचालक लाइफ लाइन ने कहा है कि सुरक्षा को लेकर डरे उनके 40 डॉक्टर और नर्सों की टीम ने नौकरी छोड़ दी। इसकी जानकारी लाइफ लाइन के निदेशक सुजीत पाटकर ने दी। उन्होंने कहा कि इस सेंटर के शुरू होते ही यहां दूसरे अस्पतालों से मरीजों को बड़ी संख्या में भेजा जाने लगा था। इनमें से कई मरीज बहुत ही गंभीर थे। ऐसे में अचानक बढ़ी मरीजों की संख्या से उपचार करनेवाले स्टाफ पर बोझ बढ़ गया। दूसरे अस्पतालों से आए गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मौत का गुस्सा परिजनों से इस सेंटर पर तोड़फोड़ करके निकालना शुरू किया। कई बार स्टाफ के साथ भी गाली गलौच की गई। जिसके बाद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित 80 स्टाफ ने नौकरी छोड़ दी है।
लापरवाही से प्राण गंवाने वालों का क्या?
इस सेंटर पर प्राण गंवाने वाले परिवारों का सबसे बड़ा प्रश्न अब प्रशासन और सरकार से है कि इतनी बड़ी लापरवाही आखिर हुई कैसे? पुणे मनपा अधिकारियों की नियुक्ती पहले कर देती तो लोगों के प्राण बच जाते। इसका भी लेखाजोखा लिया जाना चाहिए और इतनी बड़ी लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसी कोविड केयर सेंटर पर युवा पत्रकार पांडुरंग रायकर की मौत का आरोप लगा है।

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