देश में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसानों से ज्यादा व्यापारी वर्ग अपनी जान देने पर मजबूर हो। लेकिन कोरोना काल में ऐसा ही हुआ है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनआरसीबी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में व्यापारियों की आत्महत्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस कारण किसानों से ज्यादा व्यापारियों की अधिक मौतें दर्ज हुई हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 10,677 किसानों की तुलना में 11,716 व्यापारियों ने मौत को गले लगा लिया। इनमें से 4,356 व्यापारी और 4,226 दुकानदार थे। बाकी को अन्य श्रेणी में रखा गया था। एनसीआरबी आत्महत्या रिकॉर्ड करते समय व्यापारिक समुदाय को तीन वर्गों में वर्गीकृत करता है।
इतने प्रतिशत की वृद्धि
2019 की तुलना में, 2020 में कारोबारी समुदाय के लोगों की आत्महत्याओं में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस बीच, व्यापारियों की आत्महत्या 2019 में 2,906 के मुकाबले 2020 में बढ़कर 4,356 हो गई। यह करीब 2019 की अपेक्षा 49.9 प्रतिशत अधिक है। इस बीच, देश में कुल आत्महत्या का आंकड़ा 10 प्रतिशत बढ़कर 1,53,052 हो गया, जो अब तक का सबसे अधिक है।
पहले ऐसा कभी नहीं हुआ
परंपरागत रूप से, किसानों की तुलना में व्यापारिक समुदायों की आत्महत्या का आंकड़ा हमेशा कम रहता है। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण छोटे व्यवसायियों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। व्यवसाय बंद रहने के बावजूद उन्हें टैक्स भरने पड़े। इस वजह से उन पर दोहरा आर्थिक दबाव पड़ा। इस कारण बड़ी संख्या में इस वर्ग के लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हुए।
छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित
इस बारे में फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया,“कोविड वर्ष में, छोटे व्यवसाय बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब तक यह माना जाता था कि फसल खराब होने और बढ़ते कर्ज के कारण अधिक किसान आत्महत्या करते हैं। लेकिन आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि कारोबारी कम तनाव में नहीं हैं और महामारी ने उनका तनाव बहुत बढ़ा दिया है।”
एनसीआरबी की रिपोर्ट
- 2016 में 8573 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी,जबकि 2017 में 7778, साल 2018 में 7990, 2019 में 9052 और साल 2020 में 11716 व्यापारियों ने मौत को गले लगा लिया।
- किसानों की बात करें तो 2016 में 11379, साल 2017 में 10655, 2018 में 10349, साल 2019 में 10281 और साल 2020 में 10677 किसानों ने अपनी जान दे दी।