अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से लगातार वहां के मुद्दों पर सभी मंचों से भारत की ओर से बयान दिए जाते रहे हैं। चाहे जी20 का शिखर सम्मेलन हो, ब्रिक्स हो या फिर द्विपक्षीय चर्चा हो, हर मंच पर अफगानिस्तान को लेकर भारत अपनी चिंता व्यक्त करता रहा है।
दरअस्ल भारत ने पिछले दो दशक में अफगानिस्तान में एक अनुमान के तहत तीन अरब डॉलर खर्च कर वहां कई विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। इस बात को तालिबान सरकार भी कब्जे के बाद से ही स्वीकार करती रही है। इसके साथ ही वहां की स्थिति को लेकर भारत चिंतित है। यही कारण है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान को लेकर अपना पक्ष रखता आ रहा है।
ये देश होंगे शामिल
भारत ने अफगानिस्तान पर नीति निर्धारित करने के लिए अपनी तरह की पहली क्षेत्रीय वार्ता मे शामिल होने के लिए रूस, ईरान के साथ ही सभी पांच एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की दिल्ली में बैठक बुलाई है। इनमें पांच मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान, किर्गीस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान भी शामिल हैं। इन देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ ही रूस और ईरान भी दिल्ली में 10 नवंबर को आयोजित होने वाली बैठक में शामिल होंगे।
अजित डोभाल करेंगे अध्यक्षता
इस बैठक की अध्यक्षता देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल करेंगे। इससे पहले उन्होंने इसी तरह की एक बैठक की मेजबानी की थी। यह 2018-19 में ईरान द्वारा शुरू किए गए प्रारुप की निरंतरता है। हालांकि इस बार सबसे अधिक सात देश इस बैठक में शामिल होंगे।
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चीन और पाकिस्तान नहीं होंगे बैठक में शामिल
फिलहाल चीन और पाकिस्तान ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। सबसे पहले पाकिस्तान ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार किया था। उसके बाद 8 नवंबर को चीन ने भी बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। चीन ने शेड्यूलिंग मुद्दों का हवाला देते हुए बताया है कि वह आगे की बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकों में शामिल होगा। चीन ने हाल ही में ईरान द्वारा आयोजित ब्रिक्स बैठक में भाग लिया था।
भारत इसलिए बुला रहा है बैठक
भारत यह बैठक कर जहां अफगानिस्तान की चिंताओं और परेशानियों को उठाकर उसका शुभचिंतक बनना चाह रहा है, वहीं वह एशियाई देशों के साथ ही दुनिया में अपनी अच्छी छवि बनाना चाह रहा है। इसके साथ ही वह अपने निवेश को भी सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। वह पाकिस्तान के उन नापाक इरादों को भी उजागर करना चाहता है, जिसके कारण अफगानिस्तान तक भारत की सहायता नहीं पहुंच पा रही है।
पाक की नापाक साजिश होगी उजागर
भारत अफगानिस्तान में अपनी सहायता सामग्री भेजना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान इसके लिए अपने सड़क मार्ग के इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे रहा है। इसका कारण यह माना जा रहा है कि वह नहीं चाहता कि भारत और तालिबान के संबंध मजबूत हों, क्योंकि ऐसा होने पर वह तालिबान सरकार को भारत के खिलाफ उकसा नहीं पाएगा। अब भारत इस बैठक में पाक के साथ ही उसके मित्र चीन की भी पोल खोलेगा।