भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच मालाबार सैन्य अभ्यास शुरू हो गया है। प्रथम चरण बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ तो द्वितीय चरण उत्तर अरब सागर में हो रहा है। इस वर्ष का सैन्य अभ्यास चीन की चालबाजी और पाकिस्तान की चीन भक्ति के बीच हो रहा है। इस अभ्यास को ऐसे भी देखा जा रहा है कि विश्व के चार सशक्त सैन्य शक्तिवाले देश चीन को कैसे उसकी समुद्री सीमा में भी घेर सकते हैं।
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#Malabar2020 #Phase2
17 – 20 Nov 20 in Western #IndianOcean.#IndianNavy Carrier Battle Group, @USNavy #USSNimitz Carrier Strike Group, @Australian_Navy & @JMSDF_PAO to engage in high intensity #NavalOps.#BridgesofFriendship@SpokespersonMoDhttps://t.co/HEad8GZLxf
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सैन्य अभ्यास के प्रत्यक्ष लाभ
* दो देशों के सैन्य संबंधों में प्रगाढ़ता लाना
* विभिन्न देशों की सेनाओं में आपसी तालमेल को बढ़ाने
* एक-दूसरे की सेना के प्रति सम्मान पैदा करने
* आपसी आत्मविश्वास को बढ़ावा देने
* अनुभव लेना और अपने प्रदर्शन में सुधार करना
USS John S. McCain, JS Ōnami, HMAS Ballarat conduct integrated operations, group sail following exercise Malabar: https://t.co/PPEYTi2X75 #NavyPartnerships pic.twitter.com/mbDapCQngt
— U.S. Pacific Fleet (@USPacificFleet) November 8, 2020
परोक्ष लाभ
* अपनी छवि और शक्ति को दूसरे के समक्ष रखने
* रणनीतिक रूप से विदेशों की सेनाओं पर प्रभाव डालने
Train, train, train. Sailors of Ballarat preparing for Exercise Malabar 2020. @indiannavy @Australian_Navy @USNavy @jmsdf_pao_eng pic.twitter.com/wABHooXshR
— Commander Australian Fleet (@COMAUSFLT) November 14, 2020
मालाबार सैन्य अभ्यास के क्या हैं रणनीतिक संदेश?
मालाबार सैन्य अभ्यास में विश्व की चार सर्वाधिक शक्तिशाली नौसेनाएं संयुक्त अभ्यास कर रही हैं, इसके कई रणनीतिक संदेश विश्व में पहुंच रहे हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि यह देश समग्र रूप से समुद्री-क्षेत्र में चुनौतियों से जूझने में सक्षम हैं, और अलग-अलग अभियानों का एक साथ संचालन कर सकते हैं। रणनीतिक रूप से ऐसे ताकतवर संदेशों से समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर सुलभता लाने में सहायता मिलती है। इस सैन्य अभ्यास से इसमें सम्मिलित चार देश की नौसेनाओं में सी लेन्स ऑफ कम्यूनिकेशन (एसएलओसीस) यानि समुद्री वार्तालाप की कड़ियों को खोलने में सहायक होगी। इसके अलावा अनुरक्षण दल उपलब्ध करवाने एवं तस्करी, आपदा प्रबंधन, राहत अभियान से जुड़े कार्यों के लिए तत्पर रहने में विश्वास का निर्माण होगा।
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