नक्सली नेता मिलिंद तेलतुंबडे खाक हो चुका है, परंतु उसकी मौत ने गिरोह के अन्य नक्सलियों के खाने का वांदा (दूभर) कर दिया है। उसे गडचिरोली में हुए एक मुठभेड़ में शूरता की मिसाल नक्सल विरोधी पथक सी-60 ने मार गिराया था।
मिलिंद तेलतुंबडे कुख्यात माओवादी नेता था। उस पर पचास लाख का इनाम था, वह नए नवेले नक्सलियों का अन्नदाता था। उसके पास बड़े अधिकार थे और वही आतंकी गतिविधियों में लगनेवाले पैसों की आपूर्ति और संग्रहण करता था। उसका यही अधिकार अब जीवित बचे उसके गिरोहबाजों के लिए दिक्कत बन गया है। सूत्रों के अनुसार मिलिंद तेलतुंबडे पैसे जमीन में गाड़कर रखता था। उसके मरने के बाद अब नक्सली जंगल में दबे उसके खजाने को ढूंढने में लगे हैं।
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ऐसे बना नक्सली
- मिलिंद तेलतुंबडे महाराष्ट्र के यवतमाल के राजूर गांव का रहनेवाला था
- भीमा-कोरेगांव प्रकरण में गिरफ्तार आनंद तेलतुंबडे का था भाई
- 32 वर्ष पहले उसने चंद्रपुर में अखिल महाराष्ट्र कामगार संगठन शुरू किया
- वकोली कंपनी के अधिकारी की हत्या के बाद हुआ फरार
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- नक्सलियों के केंद्रीय समिति का प्रमुख, महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की क्षेत्रीय समिति का प्रमुख
- मिलिंद के अलावा कॉमरेड एम, दीपक, सह्याद्री के नामों से थी पहचान