प्रधानमंत्री नरेेन्द्र मोदी ने गुरू नानक जंयती के मौके पर तीन कृषि कानूनों को वापिस लेकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। पांच राज्यों में होनेवाले विधान सभा चुनावों के पहले भाजपा का यह एक बड़ा कदम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर डटाे हुए थे। भाजपा नेताओं का किसान यूनियन के लोग जनसभाओं में विरोध कर रहे थे। ऐसे में भाजपा जाट बेल्ट में किसानों की नाराजगी नहीं लेना चाहती है।
उत्तर प्रदेश में 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश कितना अहम है ये इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा ने पहली बार अपने दिग्गज चेहरों को क्षेत्र का प्रभारी बनाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बृज क्षेत्र का जिम्मा भी अपने पास रखा है। भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल और सपा के संभावित गठबंधन से बड़ी चुनौती मिल रही है, ऐसे में भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इसी रणनीति के तहत केन्द्र सरकार ने किसानों की नाराजगी को खत्म करने के लिए तीन कृषि कानूनों को वापस लिया है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, अलीगढ़ छह मंडल के 26 जिले हैं। इन जिलों में 136 विधानसभा सीटें है। भाजपा हिंदुत्व पर काम कर रही है, उसका हिंदू वोट बैंक मजबूत हुआ है। औवेसी और मायावती पर भाजपा का ठप्पा लगा है। अगले साल होनेवाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर किसान यूनियन के आंदोलन का असर साफ दिखाई दे रहा है। जाट बेल्ट में राष्ट्रीय लोकदल किसान आंदोलन के कारण पार्टी को जिंदा करने में जुटा है। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके रालोद अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाना चाहता है। सूत्रों के अनुसार अखिलेश यादव रालोद को 32 सीटें देने को तैयार हो गए हैं। 21 नवंबर को मुलायम सिंह के जन्मदिन के मौके पर सपा और रालोद के बीच गठबंधन की औपचारिक घोषणा हो सकती है। वर्ष 2017 में रालोद को सिर्फ छपरौली विधानसभा सीट पर जीत मिली थी, ये बात दीगर है कि एमएलए सहेंद्र सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे ।
कांग्रेस 30 सालों में उत्तर प्रदेश में 50 सीटो का आंकड़ा तक नहीं छू पाई थी। 2017 में कांग्रेस को यूपी में महज 7 सीटें मिली थीं। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत हासिल की थी। दूसरे दलों से जाट छिटक कर बीजेपी के साथ जुड़ गए थे। इस क्षेत्र के कई हिस्सों में मुसलमानों की आबादी 30 से 40 प्रतिशत है। ऐसे में मुस्लिम वोटो को लेकर रालोद, सपा, कांग्रेस और बसपा जैसे दल अपनी ओर करने के लिए जोर आजमाइश करने में जुटे हैं। भाजपा ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर एक बार फिर चौंकाया है ।
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