वो इमरजेंसी लगानेवाले, हम आदर पूर्वक कानून वापसी वाले!

केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को लाया गया था, जिसमें किसान और खरीदार के मध्य से बिचौलिये की भूमिका को समाप्त करने की बड़ी योजना थी। परंतु, इनका किसान यूनियनें एक वर्ष तक विरोध करती रही। जिसका समर्थन विपक्ष ने भी किया और परिणति रही की तीनों कानूनों को किसान यूनियनों की भावनाओं को देखकर अचानक प्रधानमंत्री ने वापस लेने की घोषणा कर दी।

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हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने संशोधित कृषि कानूनों की वापसी पर हो रही टिप्पणियों का कड़ा उत्तर दिया है। उन्होंने, कांग्रेस को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि, कांग्रेस की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन को दबाते हुए इमरजेंसी लगा दी। जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित कृषि कानूनों का विरोध होने पर उसे वापस लेने का निर्णय लिया। जिसका सम्मान होना चाहिए।

विज ने तीन संशोधित कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा पर कॉंग्रेस पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि, एक आंदोलन पहले भी हुआ था, तब जयप्रकाश नारायण नेता थे उस काल का नारा था संपूर्ण क्रांति और देश में सत्तारूढ़ पार्टी थी कांग्रेस। उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और उन्होंने बात मानने के बजाय 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगाकर सारे नेताओं को जेल में डाल दिया था। एक आंदोलन अब हुआ है किसानों का तीन बिलों को लेकर, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत आदर के साथ तीनों बिलों को वापस लेने की घोषणा कर दी। यह अंतर है कांग्रेस और भाजपा में। ऐसा करने से नरेंद्र मोदी का कद आज और बढ़ गया है। सबको उनकी बात का सम्मान करना चाहिए।

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बच्चा कांग्रेस के राहुल-प्रियंका पढ़ें कांग्रेस और खानदान का इतिहास
मीडिया से बातचीत करते हुए विज यहीं नहीं रुके, विज ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आड़े हाथों लिया। राहुल और प्रियंका गांधी पर तंज कसते हुए विज ने कहा कि बच्चा कांग्रेस के राहुल और प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिल वापस करने के बाद चहक रहे हैं, उन्हें सबसे पहले अपनी पार्टी और खानदान का इतिहास जानना चाहिए। विज ने कहा कि, इन्हे प्रजातंत्र पर बोलने का क्या अधिकार है, इन्होंने कब प्रजातंत्र की लाज रखी है। उन्होंने कहा कि सबको उनकी बात का आदर करना चाहिए , जिन्होंने जनता की बात को मान कर बड़ा उदाहरण पेश किया है।

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