गंगा हमारी मां है… संस्कृति है ….आस्था है ….गंगोत्री से हरिद्वार तक 350 किलोमीटर तक अविरल बह रही गंगा के किनारे रहनेवाले लोग गंगा के बारे में क्या सोचते हैं? गंगा को कैसे देखते हैं? उनकी परंपराएं क्या हैं? इन सब प्रश्नों के उत्तर अंजलि कपिला ने अपनी किताब ‘ए रिवर सिंन्ग्स’ में दिया है। दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर अंजलि कपिला का कहना है कि विकास के नाम पर संस्कृति का विभाजन नहीं होना चाहिए। उतराखंड की लोक संस्कृति पर काम करने वाली अंजलि कपिला गढ़वाल की महिलाओं के लोकगीतों पर लिखी 150 गीतों का संग्रह पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के स्थापना दिवस पर उनकी पुस्तक का विमोचन केन्द्रीय एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया।
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