आतंक से भी घातक है नार्को टेरोरिज्म – प्रवीण दीक्षित

देश में पिछले कुछ समय में मादक पदार्थों की तस्करी और बिक्री रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। जो यह बताता है कि देश में नशे के सौदागरों की कारस्तानी बढ़ी है। नशे की बड़ी खेप का पकड़ा जाना इस बात का साक्ष्य है कि तस्करों और सप्लायर से कई गुना तेज सुरक्षा एजेंसियां है, जो पूरी सक्रियता से नार्को टेरोरिज्म को नष्ट करने में लगी हुई हैं।

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नार्को टेररिज्म बड़ी चिंता का विषय है। मादक पदार्थों के व्यापार ने इतना गंभीर रूप धारण कर लिया है कि, वह अब तक के सबसे खतरनाक काल में पहुंच गया है। ईशान्य भारत की आतंकी गतिविधियों में जितनी मौतें नहीं होतीं, उससे अधिक मौत नार्को टेररिज्म से हो चुकी हैं। भारत अब अमली पदार्थों की सप्लाई का केंद्र ही नहीं रहा बल्कि, नशे की लत से अब यहां की युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है, जो चिंता का विषय है।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक स्ट्रैटेजिक सेंटर द्वारा आयोजित ऑनलाइन संवाद में महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित ने नार्को टेररिज्म पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। सेंटर के मानद संचालक ब्रिगडियर (सेवानिवृत्त) हेमंत महजन ने इस परिचर्चा सूत्र संचालन किया। यह सेंटर राष्ट्र सुरक्षा के बहुआयामी दृष्टिकोण को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का मंच है।

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कम खर्च में उपज
लखनऊ में राज्यों के पुलिस महासंचालक और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रमुख अधिकारियों की परिषद संपन्न हुई। इसमें नार्को, टेररिज्म, मादक पदार्थों की तस्करी, उसके यातायात और आतंकवाद पर चर्चा हुई, इसलिए इस अपराध की गंभीरता को समझा जा सकता है। प्रवीण दीक्षित ने मादक पदार्थों की तस्करी में गोल्डन ट्राएंगल, और गोल्डन क्रिसेन्ट रूट के बारे में भी चर्चा की। जिसमें अफगानिस्तान पाकिस्तान और ईरान का समावेश है। इन देशों से मादक पदार्थों की तस्करी होती रहती है। जबकि, गोल्डन क्रिसेन्ट में सम्मिलित देशों से नशे के पदार्थों का व्यवसाय हो रहा है। गरीबी के कारण गोल्डन क्रिसेन्ट के देशों में मादक पदार्थों की निर्मिति की जाती रही है। यहां पर नशे की खेती बिल्कुल ही कम लागत में हो जाती है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कीमत मिलती है।

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युवा पीढ़ी व्यसन के अधीन
पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि, भारत के विभिन्न स्थानों का उपयोग नशे की खेप को दूसरे स्थानों पर भेजने के लिए केंद्र के रूप में होता रहा है। लेकिन, इसके साथ ही देश में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश में नशीले पदार्थों की खेती की जाती है, जहां से वह महाराष्ट्र में तस्करी के द्वारा मादक पदार्थ लाया जाता है। इसके लिए सड़क और रेल मार्ग की मदद ली जाती है। महाराष्ट्र के साथ-साथ देश में नशीले पदार्थों के सेवन का प्रमाण बढ़ा है। जो चिंता का विषय है। आतंकवाद की अपेक्षा मादक पदार्थों का जाल अधिक घातक है। इसके निशाने पर युवा हैं, जिन्हें भ्रष्ट करने का कार्य नार्को टेरोरिज्म कर रहा है।

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