भारत ने कच्चे तेलों की कीमतों में कमी करने में आनाकानी करने वाले तेल उत्पादक देशों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। भारत सरकार ने इन देशों पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया के साथ ही चीन से भी हाथ मिलाया है। इन सभी देशों ने अपने देश में मौजूद कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल के एक हिस्से को घरेलू उपयोग के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह है कि बाजार से कच्चे तेल की खरीदारी बंद कर खास उपयोग के लिए भंडारण किए गए कच्चे तेल का इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत पहली बार इस तरह का कदम उठाने जा रहा है। वह अपने भंडारण का 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगा। बता दें कि पिछले महीने कच्चे तेल की कीमत 86 डॉलर थी। वर्तमान में उसकी कीमत 79 डॉलर प्रति बैरल है।
भारत का आरोप
भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रोकार्बन की कीमत उचित तरीके से तय की जानी चाहिए। भारत तेल उत्पादक देशों की इस मामले में की जा रही मनमानी को मानने से इनकार करता है। भारत का आरोप है कि तेल उत्पादक देश मांग और आपूर्ति के नियम के तहत कच्चे तेल की कीमत तय करने के बजाय अपने अनुसार निर्णय ले रहे हैं।
अमेरिका भारत के साथ
भारत के इस निर्णय का अमेरिका ने भी समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अपने देश के भंडार से पांच करोड़ बैरल कच्चा तेल जारी करने का ऐलान किया है। बाइडेन ने कहा है कि उसने भारत, जापान और चीन के साथ बात करने के बाद यह निर्णय लिया है। ओपेक देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाए जाने का अनुरोध करने के बावजूद तेल उत्पादक देशों द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि तेल उत्पादक देशों के संगठन को ओपेक नाम से जाना जाता है।
पहली बार हो रहा है ऐसा
यह पहला अवसर है, जब भारत समेत अन्य कई देशों ने भी ओपेक पर कच्चे तेल की कीमत कम करने का दबाव बनाया है। विशेषज्ञों क मानना है कि जल्द ही कच्चे तेल की कीमत घटकर 72 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकती है, जो बाद में 70 डॉलर प्रति बैलर पर स्थायी हो सकती है।