महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कार्यकर्ताओं को आजाद मैदान ले आने वाले भारतीय जनता पार्टी के विधायक सदाभाऊ खोत और विधायक गोपीचंद पडलकर ने 25 नवंबर को आंदोलन पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। आजाद मैदान में ही एसटी कर्मियों के आंदोलन का नेतृत्व भाजपा कर रही थी। 25 नवंबर को उसने इस जगह से एसटी कर्मियों के आंदोलन की वापसी की घोषणा कर दी।
भाजपा ने मुंबई के आजाद मैदान में अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर राज्य के अन्य हिस्सों में एसटी कर्मी अपना आंदोलन जारी रखना चाहते हैं, तो इसका फैसला उन्हें खुद करना है। भाजपा की इस घोषणा के बाद भी हड़ताली कर्मचारियों ने आंदोलन जारी रखा है।
वेतन बढ़ाने के सरकार के फैसले का स्वागत!
विधायक सदाभाऊ खोत ने कहा कि एसटी कर्मचारी यूनियनों को अब यह तय करना चाहिए कि इस आंदोलन को जारी रखा जाए या नहीं। उन्होंने कहा,” एसटी के राज्य सरकार में विलय का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस बारे में वहां फैसला किया जाएगा। हम एसटी कर्मियों की मांगों का समर्थन करते हैं। यह आंदोलन पूरे राज्य में एसटी कर्मियों द्वारा शुरू किया गया है। भाजपा ने उसका समर्थन करने की पहल की थी और हम उन्हें आजाद मैदान ले आए थे। लेकिन 24 नवंबर को राज्य सरकार ने मजदूरों की वेतन वृद्धि की घोषणा की। यह संघर्ष का पहला चरण पूरा हो गया। यह पहली जीत है। अब विलय का मामला न्यायालय में है। वहां इस बारे में फैसला किया जाएगा। इसके बावजूद एसटी कर्मियों को हमारा समर्थन जारी रहेगा।”
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…तो जनता भुगतेगी
भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने कहा कि विलय का मामला न्यायालय में है। न्यायालय में अगली तारीख 20 दिसंबर है। इतने लंबे समय तक हड़ताल जारी रखने से आम जनता को नुकसान होगा। इसलिए भाजपा ने इस आंदोलन से हटने का फैसला किया है, लेकिन हम एसटी कर्मियों के अगले निर्णय का समर्थन जारी रखेंगे।
ठगे गए कर्मचारी
एसटी कामगार संगठन ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है,” हड़ताल का आह्वान सदाभाऊ खोत और पडलकर ने नहीं, बल्कि एसटी कर्मियो की चतुर्थ श्रेणी संयुक्त कृति समिति द्वारा किया गया था। सरकार ने समिति के नेताओं से चर्चा नहीं की। 24 नवंबर को सरकार की वेतन वृद्धि की घोषणा मात्र दिखावा है। क्योंकि वेतन वृद्धि के 3 समझौते पहले से ही लंबित थे। हमारी वेतन वृद्धि काफी अधिक होनी चाहिए थी। इसलिए हम हड़ताल वापस नहीं लेंगे, हड़ताल जारी रहेगी।”