किसान आंदोलन में पड़ गई फूट? सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक रद्द

विपक्ष और आंदोलनकारी किसानों के आक्रामकक रुख को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए कानून बनाने की दिशा में विचार करना शुरू कर दिया है।

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दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की होने वाली बैठक रद्द हो गई है। यह बैठक 1 दिसंबर को होना वाली थी। बैठक में किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने को लेकर चर्चा होनी थी। लेकिन अब बैठक रद्द हो गई है। इसका कारण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं में फूट को बताया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा रद्द किए जाने के साथ ही एमएसपी को लेकर सकारात्मक रुख अपनाने के बाद पंजाब के किसान नेता इस आंदोलन को खत्म करना चाहते हैं। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आंदोलन को जारी रखना चाहते हैं।

अब 4 दिसंबर को होगी बैठक
किसान आंदोलन के सबसे बड़े नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सभी मांगों के माने जाने के बाद ही आंदोलन समाप्त किया जाएगा। फिलहाल अब 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी है। टिकैत ने इस बैठक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि सरकार ने हमारी पूरी मांगें नहीं मानी है, इसलिए आंदोलन जारी रहेगा। 4 दिसंबर की बैठक में हम आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे।

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केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी देने पर कर रही है विचार
इसके साथ ही विपक्ष और आंदोलनकारी किसानों के आक्रामकक रुख को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए कानून बनाने की दिशा में विचार करना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर बात करने के लिए केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के पांच प्रतिनिधियों के नाम मांगे हैं। किसान नेता दर्शन पाल ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि उनके एक साथ के पास इसे लेकर फोन आया था। पाल ने कहा कि इस बारे में 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।

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