जानिये, परमबीर सिंह के सीएम को पत्र लिखने से निलंबन तक का पूरा घटनाक्रम!

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को निलंबित कर दिया गया है। भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने यह कार्रवाई की है।

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मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को निलंबित कर दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई कथित रुप से भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर की है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिंह के निलंबन की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए थे। उसके पास उनके निलंबन का रास्ता साफ हो गया था।

गृह मंत्री ने कहा थाः
इससे पहले राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील ने कहा था कि नियमों के उल्लंघन करने को लेकर परमबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। गृह मंत्री ने कहा था कि हम परमबीर सिंह के खिलाफ उनके भ्रष्टाचार और अनियमितताओं  को लेकर कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया में हैं। उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी की जा रही है।

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इस तरह चला घटनाक्रम

  • 29 फरवरी, 2020: महाविकास अघाड़ी सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह को मुंबई का 43वां पुलिस आयुक्त नियुक्त किया।
  • 18 मार्च 2021: विपक्ष के आरोपों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने सिंह को पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया। सिंह का तबादला होमगार्ड डीजीपी के पद पर कर दिया गया।
  • 20 मार्च : आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक विस्फोटक पत्र लिखा, जिसमें तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर अपराध शाखा के एपीआई सचिन वाजे के जरिए 100 करोड़ रुपए वसूलने का आरोप लगाया गया। सिंह अपनी शिकायत लेकर अदालत पहुंचे, जिसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मामले की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया। इस घटना के बाद देशमुख को गृह मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
  • 7 अप्रैल: सिंह एंटीलिया विस्फोट मामले और मनसुख हिरेन मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश हुए।
  • 28 अप्रैल: सिंह के खिलाफ अकोला के पुलिस निरीक्षक बी. आर. घाडगे के आरोप पर मामला दर्ज किया गया।
  • 5 मई: सिंह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 5 मई से छुट्टी पर चले गए। वे अपने गृहनगर चंडीगढ़ चले गए थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी सर्जरी हुई है।
  • 21 जुलाई: मरीन ड्राइव पुलिस ने भायंदर के डेवलपर श्यामसुंदर अग्रवाल के आरोप पर एक और मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि सिंह और कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनसे 20 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी।
  • 23 जुलाई: ठाणे के कोपरी पुलिस थाने ने सिंह और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ अपहरण, फिरौती और धोखाधड़ी का तीसरा मामला दर्ज किया।
  • 30 जुलाई : व्यवसायी केतन तन्ना की शिकायत पर सिंह के खिलाफ ठाणे के नगर पुलिस थाने में चौथा मामला दर्ज किया गया।
  • 20 अगस्त : होटल व्यवसायी और ठेकेदार बिमल अग्रवाल की शिकायत पर गोरेगांव पुलिस थाने में पांचवां मामला दर्ज किया गया।
  • 15 नवंबर: मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा’ घोषित करने के लिए आवेदन किया।
  • 17 नवंबर : सिंह को फरार घोषित किया गया। उसके बाद वालकेश्वर और जुहू में घरों के बाहर नोटिस चिपका दिए गए।
  • 22 नवंबर: सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक संजय पांडे और सीबीआई को नोटिस जारी किया तथा 6 दिसंबर तक अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। इसके साथ ही 6 दिसंबर तक सिंह की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी।
  • 25 नवंबर: मुंबई पहुंचे परमबीर सिंह क्राइम ब्रांच के दफ्तर में पेश हुए। कांदिवली क्राइम ब्रांच ने उनसे घंटों पूछताछ की।
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