उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की 22 दिसम्बर को बुलाई गई एजीएम की बैठक के लिए जारी किए गए नोटिस को लेकर दूसरे खेमे ने कई सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। दूसरा खेमा संघ की इस बैठक को निराधार व अमान्य बता रहा है। लंबे इंतजार के बाद भी यूपीसीए की बैठक एक बार फिर से अधर में लटकती नजर आ रही है।
दूसरे खेमे के साथ ही संघ के कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के एक दल ने इसे असंवैधानिक करार कहते हुए संघ के पदाधिकारियों पर मनमानी करने का आरोप भी लगाया है। ऐसे कई बिंदुओं को सामने लाया गया है, जो कि लोढ़ा कमेटी और यूपीसीए के मेमोरेंडम को पूरा नहीं करते हैं। वहीं चर्चा इस बात की भी है बुलाई गई बैठक में ही गुपचुप तरीके से चुनाव भी संपन्न कराने की तैयारी चल रही है।
गाजियाबाद जिला संघ के अध्यक्ष व यूपीसीए एपेक्स कमेटी के सदस्य राकेश मिश्र खेमे ने बुलाई गई बैठक को गैरकानूनी बताया और उन्होंने कई बिंदुओं पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने बताया कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद संविधान के मुताबिक संयुक्त सचिव किसी भी प्रकार की एजीएम को बुलाने के लिए अधिकृत ही नहीं है तो वह नोटिस कैसे जारी कर सकता है। चुनाव साधारण बहुमत वाले तरीके से ही कराये जाएंगे। कोई भी एजीएम नोटिस बिना अपेक्स काउंसिल की सहमति के बिना गैरकानूनी है।
यूपीसीए में तीन साल पहले नियुक्त लोकपाल सीके प्रसाद अब पूरी तरह से अमान्य हो चुके है। विरोधी खेमे के तर्क है कि अपैक्स काउंसिल द्वारा चुना गया कोई भी सदस्य अध्यक्ष या सचिव के पद का चुनाव नही करा सकता। इसीलिए संयुक्त सचिव का चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाना ही पूरी तरह से असंवैधानिक है।
एजीएम के लिए जारी नोटिस के बारे में कहा गया है कि इसमे 21 दिन का समय नहीं दिया गया। 21 दिन की स्पष्ट सूचना की गणना के प्रयोजन के लिए, सूचना भेजने का दिन और बैठक के दिन की गणना नहीं की जाएगी। बीते एक दिसम्बर 2021 को जारी नोटिस इसलिए अमान्य है। इसी तरह वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में केवल साधारण संकल्प और विशेष संकल्प की अनुमति है। “किसी अन्य मामले” के लिए किसी एजेंडा की अनुमति नहीं है इसलिए नोटिस ही कानूनन अमान्य है।
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