राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कंग्रेस को मिलाकर महाविकास आघाड़ी की सरकार है। लेकिन हर जगह कथित रुप से शिवसेना और एनसीपी का ही जलवा देखने को मिल रहा है। इस बात से नाराज कांग्रेस ने अपने साथ सौतेला व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया है। बिजली बिल माफी को लेकर अपने साथ की गई राजनीति से पार्टी नेता काफी नाराज हैं और उन्होंने इसके लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार को स्पष्ट रुप से जिम्मेदार ठहराया है।
8 बार प्रस्ताव पर भी प्रतिसाद नहीं
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान कथित रुप से बढ़ाकर भेजे गए बिजली बिल में छूट देने का भरोसा ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने दिया था। इसके लिए उन्होंने अजित पवार के पास 8 बार प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन कोई प्रतिसाद नहीं मिला। इस वजह से आखिरकार ऊर्जा मंत्री को बिजली धारकों की आलोचना का शिकार भी होना पड़ा।
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फंड का भी रोना
कांग्रेस के एक त्रस्त मंत्री ने नाम न छापने की शर्त ने बताया कि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों को निधि दी जाती है। लेकिन कांग्रेस जब भी निधि मांगती है तो सरकार हाथ खड़े कर देती है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एसटी कर्मचारियों के पगार के लिए हाल ही में एक हजार करोड़ रुपए का पैकेज तत्काल जारी कर दिया गया। लेकिन शिक्षा, ऊर्जा और आदिवासी विभाग में आवश्यकता होते हुए भी निधि नहीं दी जाती है।
विभागों के बंटवारे में भी मनमानी
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने इस बारे में बताते हुए कहा कि इससे पहले हमने महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं मिलने की भी शिकायत की थी। बिजली बिल में सहूलियत देने के लिए केंद्र सरकार से मदद की भी मांग की थी। लेकिन केंद्र ने कोई मदद नहीं की। इसलिए अब इसमें किसी तरह की सहूलियत मिलने की उम्मीद कम है।
इनकी राजनीति से जनता का नुकसान
इन तीनों पार्टियों की राजनीति में नुकसान बिजली उपभोक्ताओं का हो रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने नितिन राऊत की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जबकि राज्य सरकार द्वारा ऊर्जा मंत्रालय को 7-8 हजार करोड़ रुपए अनुदान दिए बिना बिजली बिल माफी संभव नहीं है।
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