तमिलनाडु के कुन्नूर में आठ दिसंबर को एक सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। इस भीषण हादसे में जीवित बचे एकमात्र वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह हैं। वरुण सिंह उसी सुलूर हवाई अड्डे पर विंग कमांडर हैं, जहां बिपिन रावत डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंग्टन में व्याख्यान देने गए थे।
एक साल पहले, वरुण सिंह ने उड़ान के दौरान एक हल्के लड़ाकू विमान उड़ाते समय उड़ान प्रणाली पर नियंत्रण खो दिया था। हालांकि, वे बिना घबराए बड़ी हिम्मत के साथ विमान को सुरक्षित उतारने में कामयाब रहे थे।
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खतरों के खिलाड़ी रहे हैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह
12 अक्टूबर 2002 को फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और प्रेशर सिस्टम में बड़े सुधार के बाद वे अपने बेस से दूर एलसीएम में सिस्टम चेक करने के लिए उड़ान भर रहे थे। इस दौरान अधिक ऊंचाई पर जाने के कारण कॉकपिट में दबाव कम हो गया। वरुण सिंह ने तुरंत स्थिति को पहचान लिया और लैंडिंग के लिए विमान को नीचे लाना शुरू कर दिया। लेकिन बीच में ही उड़ान नियंत्रण प्रणाली विफल हो गई और उन्होंने विमान पर से नियंत्रण खो दिया। ऐसी जानलेवा स्थिति में शारीरिक और मानसिक तनाव के बावजूद सिंह संयम से विमान पर नियंत्रण पाने में सफल रहे। स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए वीरता चक्र से सम्मानित किया गया।