सैंट का सफल परीक्षण, वायुसेना की बढ़ाएगी मारक क्षमता

सैंट मिसाइल को ध्रुवस्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को अपग्रेड करके बनाया गया है। यह डीआरडीओ रिसर्च सेंटर और भारतीय वायुसेना के संयुक्त अभियान के अंतर्गत तैयार की जा रही है।

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राजस्थान के पोखरण रेंज में शनिवार को स्वदेश में ही विकसित स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक (सैंट) मिसाइल का परीक्षण किया गया। जबरदस्त मारक क्षमता वाली हेलीकॉप्टर से दागी गयी मिसाइल ने अपने लक्ष्य को सीधा निशाना बनाया। इसे ध्रुवस्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को अपग्रेड करके वायुसेना के लिए बनाया गया है।

सैंट मिसाइल 10 किलोमीटर तक की सीमा में लक्ष्य को निष्क्रीय कर सकती है। वायुसेना की मारक क्षमता में बढ़ोतरी करने के लिए लंबी दूरी के बम और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार के बाद हाल के दिनों में परीक्षण किए जाने वाले स्वदेशी स्टैंड-ऑफ हथियारों की श्रृंखला में यह तीसरा है।

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस मिसाइल के सभी विकास परीक्षण पिछले साल अक्टूबर में पूरे कर लिए थे। अब भारतीय वायु सेना के साथ उपयोगकर्ता परीक्षण किये जा रहे हैं। इसकी विषेशता यह है कि, यह मिसाइल लॉन्च के बाद वाले लॉक-ऑन और लॉन्च से पहले लॉक-ऑन दोनों तरह की क्षमता से लैस है। स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हेलीकॉप्टर लॉन्च स्टैंड-ऑफ एंटी टैंक मिसाइल का आज पोखरण रेंज से उड़ान परीक्षण किया गया। मिसाइल ने अपने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। इसके रिलीज सिस्टम, उन्नत मार्गदर्शन और ट्रैकिंग एल्गोरिदम, एकीकृत सॉफ्टवेयर के साथ सभी एवियोनिक्स, संतोषजनक ढंग से प्रदर्शन किया और ट्रैकिंग सिस्टम ने सभी मिशन की निगरानी की।

ऐसे वायुसेना को सैंपी जाएगी
शीर्ष हमले के मोड में आने के बाद सारे उपयोगकर्ता परीक्षण पूरे होने के बाद यह मिसाइल वायुसेना को इस्तेमाल करने के लिए सौंप दी जाएगी। मिसाइल को अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई), हैदराबाद ने डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं के समन्वय और उद्योगों की भागीदारी के साथ डिजाइन और विकसित किया है। वायुसेना को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी के बम और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार के बाद हाल के दिनों में परीक्षण किए जाने वाले स्वदेशी स्टैंड-ऑफ हथियारों की श्रृंखला में यह तीसरा है। उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ स्वदेशी विकास रक्षा में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर यह मजबूत पहल है।

इसके निर्माण की विशेषता
सैंट मिसाइल को ध्रुवस्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को अपग्रेड करके बनाया गया है। यह डीआरडीओ रिसर्च सेंटर और भारतीय वायुसेना के संयुक्त अभियान के अंतर्गत तैयार की जा रही है। इसे एंटी टैंक मिसाइलों में सबसे बेहतरीन माना जाता है। पता दें कि, नाग मिसाइल की रेंज बढ़ाकर इसे ध्रुवस्त्र हेलीना मिसाइल का नाम दिया गया था। इसे एचएएल के रुद्र और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों पर ट्विन-ट्यूब स्टब विंग-माउंटेड लॉन्चर से लॉन्च किया गया। इसकी संरचना नाग मिसाइल से अलग है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिशन से जुड़ी टीम को बधाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि सैंट मिसाइल के सफल उड़ान परीक्षण से स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और बढ़ावा मिलेगा।

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