ममता सरकार ने किया सीसीटीवी घोटाला? जांच की मांग को लेकर याचिका दायर

15 दिसंबर को अधिवक्ता सायोनी सेनगुप्ता ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि निर्भया कांड से सबक लेते हुए सभी महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना केंद्र सरकार ने लागू की थी।

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एक के बाद एक आरोपों में घिरी पश्चिम बंगाल सरकार पर अब सीसीटीवी में घोटाले के आरोप लगे हैं। इन आरोपों को लेकर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में सीसीटीवी कैमरे खरीदने और लगाने में कथित घोटाले को लेकर जांच की मांग की गई है।

दरअसल, वर्ष 2012 में राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड के बाद देश के प्रमुख शहरों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपये की धनराशि आवंटित की थी। आरोप है कि राज्य सरकार ने उस धनराशि से सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल नहीं किया और गबन कर गई ।

यह है आरोप
15 दिसंबर को अधिवक्ता सायोनी सेनगुप्ता ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि निर्भया कांड से सबक लेते हुए सभी महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना केंद्र सरकार ने लागू की थी। इसके लिए कुल 181 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी। इसमें से 56 करोड़ पश्चिम बंगाल सरकार को केंद्र से मिला था।

राज्य सरकार ने नहीं दिया हिसाब
आरोप है कि 2019 में आवंटित धनराशि का इस्तेमाल आज तक नहीं हुआ, जबकि इसका कोई हिसाब भी राज्य ने केंद्र को नहीं दिया। सायोनी ने बताया कि सबसे पहले कोलकाता पुलिस को सीसीटीवी कैमरे लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन जब शहर की पुलिस इसमें नाकाम रही तो राज्य सरकार ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी वेवेल को कैमरे इंस्टॉल करने की जिम्मेदारी दी।

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बड़े पैमाने पर भ्रष्ठाचार का खुलासा
उस समय पता चला कि वेबेल को कैमरा इंस्टॉल करने का ठेका देने में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी वजह से यह काम रुक गया। आरोप है कि कैमरा इंस्टॉल करने का सारा टेंडर केवल दो कंपनियों को दिया गया। याचिका में केंद्र की ओर से आवंटित धनराशि के बारे में पता लगाने के लिए उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करते हुए जांच की मांग की गई है। 15 दिसंबर को न्यायालय ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। जल्द ही इस पर सुनवाई होगी।

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