वसीम रिजवी ने की थी पैगंंबर मोहम्मद साहब पर टिप्पणी, अब ऐसे बढ़ रही है परेशानी

मोहम्मद साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना वसीम रिजवी  को भारी पड़ रहा है। इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लेने के बावजूद परेशानी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है।

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर अपनी लिखित किताब में आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी) को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने रिजवी को नोटिस जारी कर उनसे इस मामले में जवाब तलब किया है।

यह आदेश उच्च न्यायालय ने याची मोहम्मद युसुफ द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है। याचिका में कहा गया है कि विपक्षी रिजवी के इस प्रकार के गलत बयानों से समाज में अशांति पैदा हो रही है। कहा गया कि वह आए दिन सोशल मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मार्फत ऐसे अनर्गल बयान देते रहते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा है।

कहा गया है कि उनके बयान समाज में वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाला है। याचिका में कहा गया है कि इस्लाम 1400 वर्ष पुराना है। इसके मानने वाले पूरी दुनिया में फैले हैं। याचिका में कहा गया है कि वसीम रिजवी का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। उनके खिलाफ 27 आपराधिक मुकदमा दर्ज है। कहा गया कि इनके खिलाफ धारा 153-ए व 295-ए के तहत भी कई केस दर्ज है। इनके इस प्रकार के गंदे आचरण पर न्यायालय द्वारा रोक लगाया जाना चाहिए।

याचिका में मांग की गई है कि वसीम रिजवी को सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अथवा किसी भी प्रकार से मोहम्मद साहब के ऊपर टिप्पणी करने से रोका जाए। मांग यह भी की गई है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए तथा उन्हें राष्ट्र विरोधी बयानबाजी देने से रोका जाए।

याचिका का विरोध सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने किया। सरकार की तरफ से कहा गया कि किताब का लेखक प्राइवेट व्यक्ति है और किताब प्राइवेट कैपेसिटी से लिखी गई है। किसी प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ याचिका दाखिल कर परमादेश जारी करने की मांग नहीं की जा सकती। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि किसी व्यक्ति को टीवी चैनलों पर बैठ कर बोलने से नहीं रोका जा सकता है। कहा गया कि यह जनहित याचिका पोषणीय नहीं है।

उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विपक्षी रिजवी को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है। न्यायालय ने सरकार से भी इस मामले में जरूरी जानकारी लेकर कोर्ट को केस की अगली सुनवाई के दिन बताने को कहा है। चीफ जस्टिस राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से भी न्यायालय को आवश्यक जानकारी मुहैया कराने को कहा है। इस मामले में 13 अप्रैल को सुनवाई होगी।

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