एसआईटी ने हैदरपौरा मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को दी क्लीन चिट, जांच में सामने आई ये बात

28 दिसंबर को एसआईटी के प्रमुख डीआईजी सुजीत के ने सुरक्षा बलों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि अगर कोई अन्य सबूत सामने आता है तो टीम अपने निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए तैयार है।

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जम्मू-कश्मीर के हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 28 दिसंबर को कहा कि विदेशी आतंकवादी द्वारा एक नागरिक को मार गिराया गया, जबकि इमारत के मालिक और एक स्थानीय आतंकवादी की ‘क्रॉसफायर‘ में मौत हो गई। उन्हें आतंकी द्वारा मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया था। 15 नवंबर को यहां हैदरपोरा में एक पाकिस्तानी आतंकवादी और तीन अन्य व्यक्ति मारे गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि मारे गए सभी लोगों के आतंकवादियों से संबंध थे। हालांकि तीनों के परिवारों ने दावा किया था कि वे निर्दाेष थे। उसके बाद पुलिस को जांच के आदेश देने पड़े थे।

28 दिसंबर को एसआईटी के प्रमुख डीआईजी सुजीत के ने सुरक्षा बलों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि अगर कोई अन्य सबूत सामने आता है तो टीम अपने निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारी अब तक की जांच से पता चला है कि डॉ मुदासिर गुल को इमारत के अंदर छिपे विदेशी आतंकवादी ने मार दिया था क्योंकि उनका शव अटारी से बरामद किया गया था। सुरक्षा बल तलाशी या उसके बाद के ऑपरेशन के दौरान अटारी में बिल्कुल भी नहीं गए।

इस तरह मारे गए आतंकवादी और नागरिक
एसआईटी डीआईजी सुजीत सिंह ने संवाददाताओं को जांच का ब्योरा देते हुए कहा कि जांच से पता चला है कि डॉक्टर गुल का कर्मचारी आमिर माग्रे विदेशी आतंकवादी बिलाल भाई से काफी नजदीकी से जुड़ा था, जो भागने की कोशिश के दौरान ऑपरेशन में मारा गया था। मोहम्मद अल्ताफ भट (भवन मालिक) और आमिर सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए क्योंकि उन्हें विदेशी आतंकवादी द्वारा मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि अल्ताफ दरवाजे के बाहर गिर गया (गोलियों की चपेट में आने के बाद) जबकि आमिर कुछ और कदम चलने के बाद मारा गया था और विदेशी आतंकवादी का शव 83 फीट दूर पाया गया था।

20 से अधिक गवाहों से पूछताछ
अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच के अलावा एसआईटी ने अब तक 20 से अधिक गवाहों से भी पूछताछ की है। उन्होंने कहा कि इनमें से छह गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने भी दर्ज किए गए हैं। यह पूछे जाने पर कि अगर सुरक्षा बलों को अंदर आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में जानकारी थी तो नागरिकों को घर की तलाशी के लिए क्यों भेजा गया। अधिकारी ने कहा कि भट ने स्वेच्छा से अंदर जाने के लिए कहा था क्योंकि उन्हें पूरा यकीन था कि कोई अंदर छिपा नहीं था। उन्होंने कहा कि उनमें से किसी ने भी सुरक्षा बलों को अंदर आतंकवादी की मौजूदगी के बारे में नहीं बताया और न ही कोई मदद मांगी।

सबूत मिलने पर एसआईटी कर सकती है समीक्षा
एसआईटी प्रमुख ने कहा कि जांच अभी भी चल रही है और अगर ऐसा कोई सबूत सामने आता है तो टीम अपने निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। आमिर की संलिप्तता पर सिंह ने कहा कि इमारत में कोडीन की बोतलें और सर्दियों के परिधान जैसी बरामदगी एक ठिकाने के अस्तित्व की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि आमिर अक्सर बांदीपोरा जाता था। कोई बांदीपोरा इतनी बार क्यों जाएगा जबकि वह (उसका परिवार) 2008 में उस जगह से भाग गया था। सिंह ने मामले में कुछ संरक्षित गवाहों के बयानों का हवाला दिया जिससे यह निष्कर्ष निकला कि इमारत का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा ठिकाने के रूप में किया गया था। उन्होंने कहा कि हमें विदेशी आतंकवादी के शरीर से एक डोंगल मिला। डिवाइस का स्थान 14 नवंबर को जमालट्टा में था जहां गोलीबारी की घटना हुई थी।

सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट
यह पूछे जाने पर कि क्या जांच के बारे में पुलिस का खुलासा केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा आदेशित मजिस्ट्रेट जांच को रोक सकता है। पुलिस महानिरीक्षक कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि जांच पहले ही पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह जांच पूरी हो चुकी है और चार दिन पहले सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गई है। सरकार ने जिलाधिकारी को संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। भट, गुल और माग्रे के परिवारों ने दावा किया था कि वे निर्दाेष हैं और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया और उनके शवों को वापस करने की मांग की। राज्य के कई राजनीतिक दलों ने भी इस मांग का समर्थन किया और प्रशासन ने 18 नवंबर को भट और गुल के शव भी सौंपे थे।

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