मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया (नीट-पीजी) में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। मेडिकल कोटे में ओबीसी आरक्षण को न्यायालय ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को भी हरी झंडी दे दी है।
6 जनवरी को न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस मामले में 7 जनवरी को फैसला किया जाएगा। फैसला आने से ओबीसी और आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों को काफी राहत मिली है, क्योंकि नीट-पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया, मामला न्यायालय में होने की वजह से रुकी हुई थी। इस फैसले के बाद अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है।
न्यायायल ने यह कहाः
पिछले साल जून में केंद्र सरकार के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। उस पर न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया। न्यायालय ने कहा कि वह 8 लाख रुपए की आय सीमा को मार्च में मंजूरी देगा, भले ही उसने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का फैसला सुना दिया हो। फिलहाल न्यायालय पुराने मापदंड के साथ काउंसलिंग शुरू करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से प्रदर्शनकारी छात्रों और डॉक्टरों को राहत मिली है।
Supreme Court allows 27% reservation for Other Backward Class (OBC) and 10% for Economically Weaker Section (EWS) category in the All-India Quota (AIQ) seats for admission in the NEET for all medical seats as existing criteria this year.
— ANI (@ANI) January 7, 2022
वरिष्ठ वकील अरिवद दातार की मांग
वरिष्ठ वकील अरिवद दातार ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में दलील दी थी कि अगर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण देना है तो आय की सीमा ढाई लाख रुपए ही होनी चाहिए। दातार ने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार ने बिना किसी अध्ययन के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 8 लाख रुपए की आय सीमा निर्धारित की है। इसलिए, यदि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण लागू किया जाना है, तो यह सिन्हो समिति के आय मानदंड के अनुसार किया जाना चाहिए।
5 और 6 जनवरी को हुई दलील
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने 5 और 6 जनवरी को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। केंद्र सरकार ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आठ लाख रुपए की आय सीमा बनाए रखने की मांग की थी।
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न्यायालय की तल्ख टिप्पणी
केंद्र सरकार ने इस संबंध में अजय भूषण पांडे की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि समिति को आय सीमा 8 लाख रुपए बनाए रखने के सरकार के फैसले के समर्थन में नियुक्त किया गया है। हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि निर्णय का समर्थन करने के प्रयास में समिति को नियुक्त नहीं किया गया है। मेहता ने कहा कि समिति ने सभी प्रासंगिक पहलुओं का अध्ययन किया है और संबंधितों के साथ चर्चा के बाद रिपोर्ट सौंपी है।