महाराष्ट्र में मादक पदार्थों के विरुद्ध कार्रवाई में अब केंद्रीय एजेंसी और स्थानीय पुलिस में ‘डिफरेंस ऑफ ओपिनियन’ निकलकर सामने आया है। एक कार्रवाई के लिए गए नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के दल पर हमला हो गया जिसे लेकर अब अलग-अलग बयान सामने आए हैं। एनसीबी और पुलिस के बीच इस मतभिन्नता से अब केंद्रीय एजेंसी और राज्य की सुरक्षा एजेंसी एक दूसरे के विरुद्ध ही न खड़ी हो जाए यह आशंका है।
शहर में मादक पदार्थों की बिक्री और सेवन करनेवालों पर एनसीबी की कार्रवाई शुरू है। फिल्मी कलाकारों पर इस प्रक्रिया में कार्रवाई की सूची बढ़ती ही जा रही है। कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया को गांजा रखने और सेवन के मामले में जमानत मिल गई है। ऐसी ही एक कार्रवाई के लिए एनसीबी का दल गोरेगांव गया हुआ था। इस बीच दल पर स्थानीय लोगों मे हमला कर दिया। इस घटना की जानकारी मिलते ही गोरेगांव पुलिस वहां पहुंच गई और उसने आरोपित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
ड्रग्स माफिया ने करवाया हमला
गोरेगांव पश्चिम में कार्रवाई दल का नेतृत्व एनसीबी के मुंबई परिमंडल के संचालक समीर वानखेडे कर रहे थे। एनसीबी के अनुसार जब वे कार्रवाई के लिए भगत सिंह नगर में पहुंचे उस दौरान 40 से 50 लोगों के जमाव ने उनके दल पर हमला कर दिया। एनसीबी को गुप्त जानकारी मिली थी कि वहां मादक पदार्थों की बिक्री होती है। इसके लिए उन्होंने जाल बिछाया था। इस कार्रवाई में एलएसडी पेपर (मादक पदार्थ) के साथ एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इस कार्रवाई के बीच लोगों के जमाव ने एनसीबी दल पर हमला कर दिया। इसमें एनसीबी मुंबई परिमंडल के संचालक समीर वानखेडे तो बच गए लेकिन उनके इसमें अन्य दो अधिकारी घायल हो गए। एनसीबी के अनुसार ये हमला ड्रग्स माफिया द्वारा करवाया गया है। इस विषय में गोरेगांव पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज करा दी गई है।
सिर्फ विवाद और धक्कामुक्की
मुंबई पुलिस के अनुसार उन्हें पुलिस नियंत्रण कक्ष से जानकारी मिली थी कि शहीद भगत सिंह मार्ग गोरेगांव पश्चिम में कुछ विवाद हुआ है। जब पुलिस वहां पहुंची तो एनसीबी के अधिकारियों ने अपनी पहचान बताई। जिसके बाद विवाद करनेवाले तीन लोगों को हमने हिरासत में ले लिया। वहां से पुलिस थाने लाकर एनसीबी की शिकायत के अनुसार तीनों पर सरकारी कार्य में बाधा निर्माण करने का मामला दर्ज कर लिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार स्थानीय लोगों को एनसीबी के अधिकारियों के हावभाव संशयास्पद लगे थे। उन्हें जानकारी नहीं थी कि वे एनसीबी के अधिकारी हैं। इसलिए तीन लोगों ने पूछताछ शुरू की। इस बीच एनसीबी के दल और तीनों के बीच विवाद हो गया और धक्कामुक्की हो गई। इसमें कोई बड़ा जमाव नहीं था।
सेंसर हो चुकी है सीबीआई
राज्य सरकार ने इसके पहले सीबीआई पर सेंसर लगा दिया है। अक्टूबर में सीएम उद्धव ठाकरे ने आदेश जारी किया था कि राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए सीबीआई को पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। अब एनसीबी की कार्रवाई और गोरेगांव में हुए हमले के बाद ये प्रश्न निर्माण होने लगा है कि क्या राज्य की सुरक्षा एजेंसियों और केंद्रीय जांच एजेंसियों के बीच डिफरेंस ऑफ ओपिनियन सियासी लड़ाई की परिणति है?
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