भाजपा में भगदड़ और सपा में सेंध… ये है उत्तर प्रदेश के दल बदलुओं पर नेताजी की राय

चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के दो मंत्री सहित कई विधायक और नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। यही हाल सपा का भी है। सपा के भी कई नेता भाजपा में शामिल हो गए हैें। कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले इस तरह की भगदड़ एक सामान्य बात है।

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भारतीय जनता पार्टी ने 172 उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। लेकिन तब तक लगभग 8 विधायक जिसमें तीन कैबिनेट मंत्री थे, कमल से कन्नी काट साइकिल की सवारी करने की राह में चल दिये हैं। दूसरी ओर समाजवादी परिवार में भी सेंध है।

विधान सभा चुनावों की बयार में बहुत से नेता इधर उधर बह रहे हैं। वैसे, यह पहला अवसर नहीं है, जब नेताओं में भगदड़ मची हो। प्राप्त जानकारी के अनुसार विधान सभा चुनावों के पहले ही नेता मोल-भाव में जुट गए थे, किसी को अपना टिकट पक्का करना था, तो किसी को परिवार के लिए उम्मीदवारी चाहिए थी। ऐसा ही कुछ भाजपा के स्वामी प्रसाद और उनके समर्थकों के साथ हुआ है। जिसके कारण एक के बाद एक विधायक भाजपा को राम-राम करते जा रहे हैं।

ये सामान्य प्रक्रिया
इन नेताओं के दल बदलने पर वरिष्ठ नेताओं की राय जानने के लिए हिंदुस्थान पोस्ट संवाददाता नरेश वत्स ने बात की भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल से।

देश में यह एक सामान्य प्रकिया है, जब भी चुनाव आते हैं तब नेता पार्टी बदलते हैं, उत्तर प्रदेश में तो यह बड़े स्तर पर होता रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थक विधायकों के पार्टी छोड़ने से भाजपा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नरेश अग्रवाल कहते हैं भाजपा जाति आधारित राजनीति में विश्वास नहीं करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जितनी भी विकास योजनाएं शुरू की हैं, उनका एक ही उद्देश्य है कि, गरीब के घर में विकास की लौ कैसे प्रज्वलित हो।

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जातिगत समीकरण जुटाने का प्रयत्न
उत्तर प्रदेश में जाति और धर्म की राजनीति का सिक्का खूब चलता है। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बार ओबीसी और छोटी जातियों को लामबंद करने का कार्ड खेला है। भाजपा छोड़नेवाले नेताओं ने अपना त्याग पत्र देते समय लगभग एक जैसी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने भाजपा पर दलितों, पिछड़ों और वंचितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। जो इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की लाइन को इंगित करती है। समाजवादी पार्टी ने इस बार बड़ी पार्टियों से गठबंधन न करके छोटे दलों, दूसरे दल के ऐसे ओबीसी नेता जिनकी जीत पक्की हो उन पर लक्ष्य केंद्रित किया है।

याद आया सामाजिक न्याय
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अताऊर्रहमान ने हिन्दुस्थान पोस्ट से चर्चा में बताया कि, ये चुनाव सामाजिक न्याय के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। शोषित और पिछड़े वर्ग के लोगों की राजनीति में उचित भागीदारी हो इसके लिए छोटी जातियों को अपने साथ लाया जा रहा है।

सपा में लगी सेंध
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को दो विधायक नरेश सैनी और मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा कैडर आधारित पार्टी है, इसमें टिकट भाई-भतीजावाद के कारण नहीं दिये जाते हैं। वे कहते हैं कि भाजपा के 2017 में 1 करोड़ 87 लाख सदस्य थे, जिनकी संख्या बढ़कर 3 करोड़ 80 लाख हो गई है।

भाजपा की भी बात बनीं
दूसरी तरफ भाजपा के साथ निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल का अपना दल है। जिनके साथ सीटों पर सहमति बन गई है। माना जा रहा है कि, निषाद पार्टी को 13 सीटों पर और अपना दल को 10 सीटें दी जाएंगी।

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