संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दो टूक अंदाज में अपनी बात रखते हुए इस वैश्विक संस्था पर आतंकवाद समाप्त करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में द्वितीय सचिव दिनेश सेतिया ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक संधि करने की प्रक्रिया को टालते जा रहे हैं और असफल साबित हुए हैं।
आतंकवाद पर समन्वित नीती तैयार करने में विफल
संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य पर सयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक में भारत ने साफ कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ आतंकवाद की साझा परिभाषा पर अभी तक एकमत नहीं हो सका है। भारतीय प्रतिनिधि ने चिंता जताई कि आतंकवाद जैसे वैश्विक संकट से निपटने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए अब तक कोई समन्वित नीति तैयार करने में भी संयुक्त राष्ट्र को सफलता नहीं मिल सकी है।
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आतंकवाद समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा
भारत की ओर से कहा गया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से समाज के सामने सबसे खतरनाक संकट आतंकवाद ही है। इस संकट से गंभीरता से निपटने की हमारी अक्षमता उन लोगों के लिए संगठन की प्रासंगिकता पर सवाल उठाती है, जिनकी रक्षा करना संयुक्त राष्ट्र संघ के मूलभूत सिद्धांतों व संकल्पों के तहत सयुक्त राष्ट्र संघ की जिम्मेदारी है। भारत ने अफ्रीका में बढ़ते आतंकवाद की संभावनाओं पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र व सदस्य देशों से इस ओर विशेष ध्यान देने की अपील भी की।