अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वापसी के बाद बिगड़ते हालात और बढ़ती आतंकी गतिविधियों ने वहां के लोगों का जीवन दुष्कर बना दिया है। अफगानिस्तान में ऐसे गंभीर हालात पर भारत ने 26 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर अफगानिस्तान के लिए आतंकवाद को गंभीर संकट बताया। भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र सहयोग मिशन (यूएनएएमए) पर जानकारी दी रही थी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान के लिए आतंकवाद लगातार गंभीर खतरा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने भी कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के विस्तार को रोकना होगा।
दुनिया को चुकानी होगी भारी कीमत
यूएन महासचिव ने चेताया कि अफगानिस्तान लंबे समय से आतंकी संगठनों के लिए उर्वर भूमि रहा है और अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानियों की मदद नहीं की तो दुनिया को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के मुद्दे पर गुतेरस ने कहा कि तालिबान के सत्ता में आने के छह महीने बाद अफगानिस्तान किसी उलझे हुए धागे की तरह लटक रहा है। अफगानों का दैनिक जीवन नारकीय बन चुका है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद न केवल अफगानिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लगातार खतरा बना हुआ है।
सुरक्षा को बढ़ावा देना और आतंकवाद से लड़ना महत्वपूर्ण
गुतेरस ने कहा कि सुरक्षा को बढ़ावा देना और आतंकवाद से लड़ना महत्वपूर्ण है। अगर हम अफगानों की मदद नहीं करेंगे तो वहां ड्रग्स तस्करी, अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने तालिबान से अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवादी खतरे को दबाने और सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं का निर्माण करने के लिए वैश्विक समुदाय तथा सुरक्षा परिषद के साथ मिलकर काम करने को कहा।
खतरनाक स्थिति में अफगानिस्तान
गुतेरस ने अफगानिस्तान के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा,’तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के छह महीने बाद, अफगानिस्तान खतरनाक स्थिति का सामना कर रहा है। अफगानों के लिए, दैनिक जीवन नरक बन गया है।’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद न केवल अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए लगातार खतरा बना हुआ है।