मन की बात में प्रधानमंत्री का बयान, विश्व के ‘इन’ देशों में बढ़ रहा है भारतीय संस्कृति का आकर्षण

प्रधानमंत्री ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा कि हमारी संस्कृति, हमारे लिए ही नहीं, बल्कि, पूरी दुनिया के लिए एक अनमोल धरोहर है। दुनिया भर के लोग उसे जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं, जीना चाहते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जनवरी को कहा कि भारतीय संस्कृति के विविध रंगों और आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा से दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचा है। वर्तमान में भी यह निरंतर बढ़ रहा है। भारतीय संस्कृति का लैटिन और दक्षिण अमेरिका में भी बड़ा आकर्षण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि भारतीय संस्कृति अमेरिका और कनाडा के साथ-साथ दुबई, सिंगापुर, पश्चिमी यूरोप एवं जापान में बहुत ही लोकप्रिय है। यह बात आपके लिये सामान्य होगी, लेकिन आप यह जानकर हैरान होंगे कि भारतीय संस्कृति का लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में भी बड़ा आकर्षण है।

2018 की अपनी अर्जेंटीना यात्रा का किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने अर्जेंटीना में फहरा रहे भारतीय संस्कृति के परचम का जिक्र करते हुये कहा कि वहां भारतीय संस्कृति को बहुत पसंद किया जाता है। उन्होंने 2018 की अपनी अर्जेंटीना यात्रा के दौरान ‘शांति के लिए योग’ कार्यक्रम के विषय में बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्जेंटीना में हस्तिनापुर फाउंडेशन नामक एक संस्था है। यह फाउंडेशन, अर्जेंटीना में भारतीय वैदिक परम्पराओं के प्रसार में जुटा है। इसकी स्थापना 40 साल पहले एक मैडम, प्रोफेसर ऐडा एलब्रेक्ट ने की थी। आज प्रोफेसर ऐडा एलब्रेक्ट 90 वर्ष की होने जा रही हैं।

दिलचस्प है कहानी
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के साथ उनका जुड़ाव कैसे हुआ, यह भी बहुत दिलचस्प है। जब वे 18 साल की थीं, तब पहली बार भारतीय संस्कृति की शक्ति से उनका परिचय हुआ। उन्होंने भारत में काफी समय भी बिताया। भगवद् गीता और उपनिषदों के बारे में गहराई से जाना।

हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हज़ार से अधिक सदस्य
आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हजार से अधिक सदस्य हैं और अर्जेंटीना एवं अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में इसकी करीब 30 शाखाएं हैं। हस्तिनापुर फाउंडेशन ने स्पेनिश भाषा में 100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रन्थ भी प्रकाशित किये हैं। आश्रम में 12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। इन सबके केंद्र में एक ऐसा मंदिर भी है, जो अद्वैतवादी ध्यान के लिए बनाया गया है। ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण यह बताते हैं, हमारी संस्कृति, हमारे लिए ही नहीं, बल्कि, पूरी दुनिया के लिए एक अनमोल धरोहर है। दुनिया भर के लोग उसे जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं, जीना चाहते हैं। हमें भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को खुद अपने जीवन का हिस्सा बनाते हुए सब लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।

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