उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। इन सरगर्मियों के बीच प्रदेश में दो महिला उम्मीदवार की खूब चर्चा हो रही है। ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां हैं। एक का यह पहला चुनाव है तो दूसरी का दूसरा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी का यह दूसरा चुनाव है। वह वर्तमान में यमकेश्वर से विधायक हैं। इस बार पार्टी ने उन्हें कोटद्वार से मैदान में उतारा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत ने भी इस बार राजनीति में कदम रख दी है।
हरीश रावत की बेटी को पहली बार टिकट
अनुपमा रावत पहली बार चुनावी मैदान में अपना किस्मत आजमा रही हैं। वह हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनावी दंगल में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के दिग्गज नेता और कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद से है।
इन महिला उम्मीदवारों की चर्चा
ऐसे तो इस बार भाजपा ने सबसे अधिक 8 महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस ने 5 महिलाओं को टिकट देकर उन पर अपना भरोसा जताया है। इन महिला उम्मीदवारों में ज्यादा चर्चा ऋतु खंडूड़ी और अनुपमा रावत की हो रही है।
इन सीटों पर पहले हार चुके हैं इनके पिता
इस विशेष चर्चा का कारण भी है। ये दोनों बेटियां ऐसे सीट से चुनावी मैदान में हैं, जहां इनके पिता को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए कहा जा रहा है कि इस बार इनके पास अपने-अपने पिता की हार का बदला लेने का अवसर है। इसलिए चुनावी नतीजों में इस बार इन दो सीटों का नतीजा काफी दिलचस्प होने वाला है।
2012 में हार गए थे भुवनचंद्र खंडूड़ी
कोटद्वार और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर लोगों की निगाहें टिकी हैं। ऋतु खंडूड़ी पिछली बार पौड़ी जिले के यमकेश्वर सीट से चुनाव लड़ी थी। पहला चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंची थी। इस बार पार्टी ने इन्हें उस कोटद्वार सीट से मैदान में उतारा है, जहां से 2012 के विधानसभा चुनाव में उनके पिता भुवनचंद्र खंडूड़ी को हार का मुंह देखना पड़ा था।
सुरेंद्र नेगी ने दी थी मात
2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी को कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ने 4623 वोटों से हराया था। तब खंडूड़ी को यहां 27194 वोट मिले थे। जबकि सुरेंद्र सिंह नेगी 31797 वोट लेकर सीटिंग मुख्यमंत्री को हराया था। ऋतु खंडूड़ी के पास इस अपने पिता की हार का बदला लेने का अवसर है। उनके सामने कांग्रेस से सुरेंद्र सिंह नेगी ही हैं।
ऋतु के लिए आसान नहीं राह
ऐसे ऋतु के लिए यह सीट यमकेश्वर जितना आसान भी नहीं है क्योंकि यमकेश्वर सीट जहां ब्राह्मण बहुल था, वहीं कोटद्वार ठाकुर बहुल सीट माना जाता है। यहां हमेशा ठाकुर उम्मीदवार को ही जीत मिलती है। इसलिए ऋतु के पास न केवल अपने पिता की हार का बदला लेने का अवसर है बल्कि इतिहास रचने का भी मौका है। यहां जीत दर्ज कर वह पहली ब्राह्मण विधायक बन सकती हैं।
हरीश रावत को मिली थी हार
अनुपमा रावत का यह पहला चुनाव है। जिस हरिद्वार ग्रामीण सीट से वह चुनाव लड़ रही हैं, वहां से पिछला चुनाव उनके पिता हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें भाजपा के नए नवेले उम्मीदवार स्वामी यतीश्वरानंद ने आसानी से हरा दिया था। है। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत वह चुनाव 12 हजार से ज्यादा मतों से हारे थे।
बदला लेने का अवसर
उस चुनाव में हरीश रावत को कुल 32686 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद को इनसे 12278 वोट ज्यादा मिले थे। इसलिए ऋतु खंडूड़ी की तरह ही अनुपमा के पास भी इस बार अपने पिता की हार का बदला लेने का अच्छा अवसर है। 10 मार्च को यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कौन अपने पिता की हार का बदला लेने में कामयाब होता है।