एक दौर था, जब जानलेवा बीमारी एड्स (एचआईवी) ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी थी लेकिन अब इस बीमारी में बड़े पैमाने पर कमी आई है। महाराष्ट्र में वर्ष 2007 की तुलना में अब एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या 14 प्रतिशत पर आ गई है।
लगभग 20 साल पहले जानलेवा बीमारी एड्स ने महाराष्ट्र राज्य में दस्तक दी थी। इस बीमारी को लेकर लोगों में काफी भय और चिंता थी। यह रोग मुख्य रूप से यौन संचारित संक्रमणों से फैला था लेकिन अब राज्य में इस बीमारी का डर कम होता जा रहा है।
ताजा स्थिति
महाराष्ट्र राज्य एड्स नियंत्रण संस्थान के मुख्य नियंत्रक चंद्रकांत डांगे के अनुसार वर्ष 2007 की तुलना में अब राज्य में केवल 14 प्रतिशत के आस-पास मरीज हैं। साल 2007 में 5 लाख 23 हजार 234 लोगों की जांच के बाद 59 हजार 625 संक्रमित मरीज मिले थे। वर्ष 2010 में 14 लाख 27 हजार 738 मरीजों की जांच के बाद उनमें से 67 हजार 997 एड्स से संक्रमित पाए गए थे। यह अनुपात अब बहुत कम हो गया है। वर्ष 2021 में 25 लाख 70 हजार 753 लोगों की जांच के बाद महाराष्ट्र में सिर्फ 9 हजार 497 एड्स के मरीज मिले हैं।
लोग हुए हैं जागरुक
महाराष्ट्र राज्य एड्स नियंत्रण संस्थान, मुंबई की अधिकारी डॉ. श्रीकला एन के अनुसार मुंबई में भी एड्स के मामलों में कमी आई है। सुखद बात है कि वर्ष 2010 की तुलना में एड्स के मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। लोग जागरूक हुए हैं और पर सावधानी बरत रहे हैं। कोरोना काल में इस बीमारी के आंकड़ों में ज्यादा गिरावट देखी गई है।
पूर्व के आंकड़े
डांगे के अनुसार सूबे में गर्भवती महिलाओं में भी एड्स के मामलों में काफी कमी आई है। वर्ष 2007 में छह लाख 45 हजार 949 गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया गया और 4552 एड्स संक्रमित मरीज मिले। वर्ष 2010 में 10 लाख 39 हजार 757 महिलाओं की जांच की गई तो यह संख्या घटकर 3361 रह गई। साल 2021 में 20 लाख 14 हजार 904 महिलाओं की जांच की गई तो केवल 630 महिलाएं ही एड्स से संक्रमित पाई गईं।