पाकिस्तान, जिन्ना और हज हाउस जैसे मुद्दे पश्चिमी उत्तरप्रदेश चुनाव अभियान में खूब उछाले जा रहे हैं । जिनको पाकिस्तान से है प्यार , वो जिन्ना से कैसे करे इनकार ! ये नारा चुनावी सभाओं में सुनाई दे रहा है । जिन्ना की पटकथा खुद अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के चुनावों की घोषणा से पहले ही लिख दी थी । जब अखिलेश यादव ने जिन्ना को जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के समक्ष खड़ा कर दिया था ।
अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार में अपना पाकिस्तान प्रेम दिखाना भी नही भूले, जब उन्होंने पाकिस्तान को राजनीतिक दुश्मन और चीन को असली दुश्मन बताया।
अखिलेश यादव ने बैठे बिठाए बीजेपी को ये मुद्दा थमा दिया । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की कमजोर नब्ज दबाते हुए सपा पर कटाक्ष किया कि सपा ने गाजियाबाद में हज हाउस बनवाया था, भाजप सरकार ने मानसरोवर भवन बनवाया है । अखिलेश को पाकिस्तान प्यारा है, हम मां भारती पर जान न्योछावर करते हैं ।
क्या उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए पाकिस्तान मुद्दा है ?
पश्चिम उत्तर प्रदेश की सियासत में ध्रुवीकरण का सिक्का कई बार उछाला गया है । लेकिन अखिलेश यादव ने एक सोची समझी रणनीति के तहत मुस्लिम मतों को लामबंद करने के लिए अपना पाकिस्तान प्रेम जाहिर किया है । दरअस्ल पश्चिम उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा की सीटें ऐसी है, जहां मुस्लिम प्रत्याशी आसानी से जीत सकता है । सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली सीट रामपुर है, जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान है । कैराना , मुजफ्फरनगर , बुलन्दशहर , हापुड, अलीगढ़ ,गाजियाबाद में भी मुस्लिम मतदाता अपना प्रभाव रखते हैं ।
जंयत चौधरी ने अखिलेश यादव के सामने किया सरेंडर
पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय में इस बात को लेकर गुस्सा पनप रहा है कि जंयत चौधरी ने अखिलेश यादव के आगे राजनीतिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया है । मुजफ्फरनगर दंगों का हवाला देते हुए लोग सवाल उठा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी रालोद के हिस्से की सीटों पर भी सपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिये हैं । पहले चरण के मतदान में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर वोट डाले जाएंगे ।