दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा कि वैवाहिक रेप को अपराध करार देने से एक नए अपराध का जन्म होगा।
1 फरवरी को सुनवाई के दौरान जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि वे फिलहाल अपनी राय नहीं रखना चाह रहे हैं। यह मामला आगे बढ़ना चाहिए। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस पर अपना पक्ष रखे।
याचिकाकर्ता का पक्ष
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील करुणा नंदी ने कहा कि वैवाहिक अधिकार संभोग के बाद खत्म हो जाते हैं। बाकी बातें इच्छा की होती है क्योंकि कोई भी पत्नी हमेशा यौन संबंध बनाने की सहमति नहीं देती है।
केंद्र सरकार ने रखा था अपना पक्ष
बता दें कि इस मामले में 24 जनवरी को केंद्र सरकार ने कहा था कि वैवाहिक रेप को अपराध बनाना परिवार के मामले के साथ-साथ महिला के सम्मान से भी जुड़ा हुआ है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उसके लिए इस मसले पर तत्काल अपना रुख बताना संभव नहीं है।