पालघर में पहली बार बेटों से ज्यादा बेटियों ने लिया जन्म! जानिये, क्या है ताजा लिंगानुपात

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महाराष्ट्र के पालघर से जेंडर रेश्यो के बारे में सुकूनदायी खबर है। यहां लिंगानुपात में उम्मीद से ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।जिले में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या बढ़ने से इस साल प्रति हजार 22 बेटियों के जन्म दर में बढ़ोतरी हुई है। 2020-21 प्रति हजार बेटों पर 947 बेटियां थीं, जो 2020-21 में बढ़कर 969 हो गई है।

पालघर का स्वास्थ्य विभाग जिले में सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों सहित अन्य स्थानों पर जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण से महिला अनुपात की जानकारी लेता है। भ्रूण हत्या व गर्भ से लिंग परीक्षण जांच को लेकर समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाता है। साथ ही जिले में सोनोग्राफी केंद्रों का नियमित निरीक्षण कर इन पर कड़ी नजर रखी जाती है, जिससे बच्चियों की जन्म दर को बढ़ाने में मदद मिली है।

इस तरह रहा आंकड़ा
बता दें कि पालघर जिले के डहाणू, तलासरी और वसई विरार क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महिलाएं प्रसव के लिए जिले से बाहर भी जाती हैं। इसलिए उनका जिले में पंजीकरण नहीं हो पाता है। यह उस जिले में किया जाता है, जहां बच्चे का जन्म हुआ था। पालघर जिले में दिसंबर तक 17,000 से अधिक बच्चियों का जन्म (जीवित जन्म) हुआ है और 18,000 से अधिक लड़कों ने जन्म (जीवित जन्म) हुआ है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है, कि कोरोना संक्रमण के कारण महिलाओं को प्रसव के लिए जिले के बाहर य अन्य जगहों पर जाना पड़ा। नहीं तो बच्चियों की संख्या में और बढ़ोत्तरी हो सकती थी।

पालघर में 100 पुरुषों पर 969 महिलाएं
महाराष्ट्र में प्रति हजार पुरुषों पर 928 महिलाएं हैं। इस वर्ष पालघर जिले में प्रति हजार पुरुषों पर 969 महिलाओं की संख्या हो गई है। स्वास्थ्य विभाग विभिन्न उपायों के जरिए इस संख्या को और बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बनाए गए पीसीपीएनडीटी अधिनियम को सख्ती से लागू करवाया जा रहा है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने वाले लोगों का नाम बताने वाले शख्स का नाम गुप्त रखकर उसे एक लाख इनाम भी दिया जाता है।

2021-2022 दिसंबर तक के आंकड़े
-लड़के पैदा हुए-18472
-लड़कियों का जन्म-17895
-2020-21 के आंकड़े
-लड़के पैदा हुए-28708
-लड़कियों का जन्म-27180

जिला स्वास्थ्य अधिकारी का दावा
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर दयानंद सूर्यवंशी ने कहा कि पालघर जनजातीय बहुल जिला है। यहां के आदिवासियों में कभी भी भ्रूण हत्या जैसी बुराइयां नही रही हैं। इसी कारण लिंगानुपात की दृष्टि से महिलाओं की संख्या संतोषजनक है। जिले के सोनोग्राफी सेंटर स्वास्थ्य विभाग की रेडार पर रहते हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालो पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।

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