खांसी की आवाज से होगा टीबी का उपचार! जानिये, क्या है एडवांस टेक्नोलॉजी

टीबी के उपचार के लिए सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए "फिल्डी एप्प" नाम से मोबाइल एप्प तैयार कराया है। कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉल्यूशन ट्रू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत इसका ट्रायल शुरू किया गया है।

118

बिहार के सिवान में टीबी के मरीजों की जांच के लिए अब बलगम नहीं, खांसी की आवाज के सैंपल लिए जाएंगे। सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए “फिल्डी एप्प” नाम से मोबाइल एप्प तैयार कराया है। कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉल्यूशन ट्रू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत इसका ट्रायल शुरू किया गया है।

जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चरण में प्रत्येक प्रखंड में लोगों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा। अगर यह सफल रहा तो टीबी मरीजों को चिह्नित करने में काफी सहूलियत होगी तथा उनका उपचार समय रहते हो पाएगा।

घर-घर जाकर की सकेगी रोगियों की पहचान
एप्प के माध्यम से संक्रमित रोगी, दूसरे संक्रमित के संपर्क में आए रोगी तथा तीसरा टीबी के लक्षण पाए गए रोगी से एप्प के माध्यम से 30-30 प्रश्न पूछे गए। उसके बाद उनकी आवाज रिकॉर्ड की गई । जिसे सेंट्रल टीबी डिवीजन भेजा जाएगा। परीक्षण सफल होने पर इस एप्प के माध्यम से घर-घर जाकर ऐसे रोगियों की पहचान की जा सकेगी। रोगी की पहचान होने पर प्रोत्साहित कर सफल इलाज कराने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि ,जबकि टीबी से संक्रमित मरीजों को पोषण योजना के तहत 500 रुपए कोर्स पूरा करने तक दिया जाएगा।

सैंपल कलेक्ट कर होगी स्टडी:
सिविल सर्जन डॉ. यदुवंश कुमार शर्मा ने बताया आवाज के जरिए टीबी की पहचान करने के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों से सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं। इसमें कई जिलों को शामिल किया गया है। जिले में सभी प्रखंडों में सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं । एक्सपर्ट इन सैंपल्स से माइक्रो रिसर्च और स्टडी का काम शुरू करेंगे। इसमें देखा जाएगा कि सामान्य व्यक्ति की आवाज और टीबी के मरीज की आवाज में क्या अंतर आता है। इसके लिए चिह्नित लोगों के नाम व पते गोपनीय रखे जाएंगे । डीपीसी पंकज कुमार ने बताया ने बताया कि मरीज के तीन बार खांसते हुए आवाज एप्प पर रिकॉर्ड की जाती है।10 सेकेंड की रिकॉर्डिंग में 5 स्वर अक्षर के उच्चारण को भी रिकॉर्ड किया जाता है।

मरीजों को मिलेगा लाभ:
सिविल सर्जन ने बताया आवाज के सैंपल लेने के लिए एसटीएस, एसटीएलएस,एलटी, ट्रेनिंग कराई गई है। यदि यह टेक्नोलॉजी सफल होती है तो टीबी की पहचान और इलाज काफी आसान हो जाएगा। समय की भी काफी बचत होगी। इससे मरीजों को बहुत फायदा होगा। जिले के सभी प्रखंडों में शत-प्रतिशत टीबी मरीजों का सैंपल कलेक्शन को लेकर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है। इसको लेकर राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया। इसमें राज्यस्तरीय पदाधिकारियों ने सीडीओ को निर्देश दिया कि शत-प्रतिशत सैंपल कलेक्शन कराना सुनिश्चित करें।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.