भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर पूरे देश के साथ ही उत्तराखंड भी गमजदा है। उत्तराखंड के पास लता जी के बेशकीमती तोहफे के तौर पर वो गढ़वाली गीत मन भरमैगे मौजूद हैं, जिसे उन्होंने वर्ष 1988 में रिकार्ड कराया था।
फिल्म रैबार के इस गीत को लता जी ने इस कदर खूबसूरत ढंग से गाया था कि कहीं से पता नहीं चलता कि गढ़वाली बोली-भाषा न जानने वाली किसी गायिका ने इस गीत को गाया है। इस गीत को रिकार्ड कराने से पहले उन्होंने चार घंटे तक इस गीत पर मेहनत की थी। उन्हें जो फीस दी गई, उसे उन्होंने स्टूडियो में ही एक एनजीओ के प्रतिनिधियों को बुलाकर दान कर दे दिया था।
चार घंटे तक प्रैक्टिस करने के बाद लता जी ने गाया गढ़वाली गाना
लता जी से रैबार फिल्म के इस गीत के लिए निर्माता किशन एन पटेल ने अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था। यह गाना देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखा था, जिसका संगीत कुंवर बावला ने तैयार किया था। संगीतकार कुंवर बावला बताते हैं-रैबार फिल्म 1990 में रिलीज हुई, लेकिन दो साल पहले ही 1988 में इस गीत को रिकार्ड करा लिया गया था। जिस दिन गाने की रिकार्डिंग होनी थी, उस दिन उत्सव -सा माहौल था। हर कोई लता जी का सानिध्य अनुभव करना चाहता था। लता जी चार घंटे तक स्टूडियों में रहीं। संगीतकार कुंवर बावला के अनुसार-लता जी ने रिहर्सल के दौरान साफ कह दिया था कि वह जहां भी गलत गाएं, उन्हें जरूर टोक दिया जाए। गढ़वाली के एक-एक शब्द का अर्थ उन्होंने तसल्ली से समझा और इसके बाद उसे बेहतरीन ढंग से गा दिया।
जितनी महान गायिका थीं, उतनी अच्छी इंसान
कुंवर बावला के अनुसार-लता जी जितनी महान गायिका थीं, उतनी अच्छी इंसान थीं। चार घंटे तक वह स्टूडियों में रहीं और इस दौरान हर किसी से उन्होंने बहुत अच्छे से बात की। उन्हें जो फीस दी गई, उन्होंने उसे स्टूडियों में ही बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाली एक एनजीओ के प्रतिनिधियों को दे दिया।